भारत में कोरोना वायरस संकट के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज लॉकडाउन को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रेस कॉन्फ्रेंस की। मीडिया से बातचीत में राहुल ने कहा कि लॉकडाउन कोरोना का हल नहीं है। यह एक तरह से पॉज बटन की तरह है। इस दौरान उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग और ज्यादा से ज्यादा कोरोना टेस्ट कराए जाने पर जोर दिया। राहुल गांधी ने कहा कि मैं आज कुछ बातें कहने जा रहा हूँ और उन्हें आलोचना की भावना से नहीं, बल्कि रचनात्मक समर्थन और सलाह की भावना से समझा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, 'यह स्पष्ट है कि हम बहुत गंभीर स्थिति में हैं और मुझे लगता है कि यदि हम इस समस्या को हल करना चाहते हैं और इस वायरस को हराना चाहते हैं, तो सभी राजनीतिक दलों और भारत के लोगों को एक साथ काम करना होगा।' प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, 'पिछले कुछ महीनों से, मैं भारत में, विदेशों में, सरकार के बाहर, सरकार में बड़ी संख्या में विशेषज्ञों से बात कर रहा हूं, जिन्हें इस बात की बहुत अच्छी समझ है कि क्या चल रहा है, इसलिए मैं जो भी कहूंगा वह इन वार्तालापों पर आधारित होगा।'
उन्होंने आगे कहा, 'ये समझना होगा कि लॉकडाउन एक पॉज बटन की तरह है, यह किसी भी तरह से कोरोनावायरस का समाधान नहीं है। जब हम लॉकडाउन से बाहर आते हैं, तो वायरस अपना काम फिर से शुरू कर देगा। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हमारे पास लॉकडाउन से बाहर आने की रणनीति हो।'
राहुल ने कहा. 'लॉकडाउन सिर्फ समय देता है- टेस्ट बढ़ाने, अस्पताल तैयार करने, वेंटिलेटर प्राप्त करने के लिए। एक गलत धारणा है, जिसे मैं साफ करना चाहता हूं। किसी भी तरह से लॉकडाउन वायरस को नहीं हराता है, यह कुछ समय के लिए वायरस को रोकता है।' उन्होंने कहा, 'वायरस के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार टेस्ट है। टेस्ट करने से ये जान सकते हैं कि वायरस कहाँ घूम रहा है और उसको अलग करके लड़ा जा सकता है। हमारी टेस्ट दर 199 / मिलियन है और जो टेस्ट किए जा चुके हैं, उनका औसत 350 टेस्ट / जिले का है।'
सरकार को सलाह देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार टेस्ट को आक्रामक रूप बढ़ाएं, अधिकतम टेस्ट करें और इसे रणनीतिक रूप से उपयोग करें। अपनी लड़ाई में राज्यों की सहायता के लिए टेस्ट का उपयोग करें, न केवल मरीजों को ट्रैक करने के लिए, बल्कि वायरस का पता लगाने के लिए।'

राहुल ने आगे कहा, 'कोविड वायरस से लड़ने के लिए हमारी मुख्य ताकत राज्य और जिला स्तर पर है। वायनाड में सफलता जिला स्तर की मशीनरी के कारण मिली है। इसलिए मेरा सुझाव है कि कोविड के खिलाफ लड़ाई टॉप-डाउन न होकर बॉटम-अप हो। प्रधानमंत्री राज्यों को सशक्त बनाए।' उन्होंने कहा,'MP-LAD इस स्थिति में मूल मुद्दा नहीं है, बल्कि साथ मिलकर लड़ना महत्वपूर्ण है। हमारे संसाधनों के सटीक इस्तेमाल पर हमरा ध्यान होना चाहिए।'
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, 'टेस्टिंग के मामले में अब तक जो हुआ, वो हो गया। उसको भूल जाइए। लेकिन, अब हम इमरजेंसी स्थिति में हैं। इसलिए अब हम मिलकर, पूरा हिंदुस्तान मिलकर इससे लड़े। कमजोर तरीके न अपनाकर, रणनीति के साथ काम करना होगा।' उन्होंने आगे, 'एक चीज को समझना होगा कि लॉकडाउन से हमारा काम नहीं बना है, बल्कि स्थिति पोस्टपोंड हुई है। इसलिए राज्यों को GST दीजिए; राज्यों से बात कीजिए। इसी दिशा की अभी जरूरत है।'
सरकार पर निशाना साधते राहुल गांधी ने कहा कि जिस प्रकार से, जिस गति से पैसा राज्यों को पहुंचना चाहिए, वो नहीं हो रहा। कोरोना से दो मोर्चों पर जंग चल रही है- मेडिकल और आर्थिक।' गरीबों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'खाने की कमी आएगी। गोदाम में स्टोरेज है। तो गरीबों को भोजन दीजिए। जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, उनको भी इसमें शामिल कीजिए। खाद्य सुरक्षा का एक रास्ता तैयार कीजिए।'
इसके अलावा राहुल गांधी ने कहा, 'न्याय योजना की तरह 20% गरीब लोगों को सीधे पैसा दीजिए। क्योंकि गरीबों को दिक्कत हो रही है और होने वाली है। न्याय योजना की जगह कोई और नाम रख लीजिए।' उन्होंने आगे कहा, 'बेरोजगारी शुरू हो गई है और इसका बहुत बुरा रूप आने वाला है। रोजगार देने वाले SMEs के लिए पैकेज तैयार कीजिए। बड़ी कंपनियों के लिए पैकेज तैयार कीजिए।'
राहुल ने कहा कि लॉकडाउन के बाद की रणनीति पर ध्यान देना जरूरी है। टेस्टिंग, मेडिकल की रणनीति क्या होगी? PHC, हॉस्पिटल को कैसे तैयार करोगे? क्योंकि, लॉकडाउन के बाद बीमारी बढ़ेगी। एक्शन में देरी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'मुझे दुःख है कि गोदाम में रखा हुआ अनाज लोगों तक नहीं पहुंचा; SMEs को मालूम हो जाना चाहिए था कि उनके लिए क्या किया जा रहा है?'
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने सरकार से कहा,'अगर आप कुछ प्रमुख क्षेत्रों को खोलते हैं, तो बीमारी की पहचान के लिए टेस्ट का उपयोग करें। यह वह जगह है, जहां गतिशील रूप से हॉटस्पॉट्स की पहचान करने के लिए टेस्टिंग का बढ़ना महत्वपूर्ण है।' उन्होंने कहा,'भारत में दो बुनियादी क्षेत्र बने - हॉटस्पॉट ज़ोन और नॉन-हॉटस्पॉट। वायरस की पहचान के लिए टेस्ट का उपयोग कीजिए, ताकि आप हॉटस्पॉट की तुरंत निगरानी कर सकें और उसे नियंत्रित कर सकें।'
राहुल ने आगे कहा,'जब आप लोगों को बंद कर देते हैं, तो बीमारी बंद हो जाती है, जब आप दरवाजा खोलते हैं, तो बीमारी तेजी से बाहर आती है।' वही, कांग्रेस नेता ने कहा, 'बड़े पैमाने पर वित्तीय समस्या आने वाली है। आप बेरोजगारी की पहली लहरों को देखने जा रहे हैं और फिर यह बढ़ेगी। आप हमारी वित्तीय प्रणाली पर भारी दबाव देखेंगे।'
उन्होंने कहा, 'आपको स्ट्रक्चर सेट करना होगा और अपनी फंडिंग का प्रबंधन करना होगा। यदि आप अपना सारा पैसा अभी खर्च करते हैं और तब वित्तीय संकट होगा, इसलिए आपको रणनीतिक रूप से सोचने और आगे बढ़ने की आवश्यकता है।' कोरोना वायरस महामारी पर बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा,'हमारे लिए, जीवन सबसे महत्वपूर्ण है और हम बस अपने लोगों को इन परिस्थितियों में नहीं आने दे सकते। हमें उनकी रक्षा करनी होगी और हमारी अर्थव्यवस्था को भी नष्ट नहीं करना होगा।' उन्होंने आगे कहा कि बहुत कमजोर तरीके देखकर मुझे चिंता होती है। मुझे राज्यों को बहुत अधिक शक्ति देना; लॉकडाउन रणनीति के बारे में राज्यों और पीएम के बीच सामंजस्य देखना अच्छा लगेगा।
वही, राहुल ने कहा, 'कोविड को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, इसे गतिशील रूप से प्रबंधित करना होगा। यदि आप इसे ठीक से प्रबंधित करते हैं, तो आप इससे लड़ने में सक्षम होंगे, लेकिन यदि आप इसे आज़माते हैं और इसे नियंत्रित करते हैं, तो आप नहीं कर पाएंगे।' उन्होंने आगे कहा, 'बातचीत से परे राज्यों को पैसा दिए जाने की जरूरत है, मुख्यमंत्रियों से पूछिए कि उन्हें क्या चाहिए, केंद्रीय सरकार कैसे मदद कर सकती है। यह वार्तालाप से अधिक है, यह काम करने का एक तरीका है।'

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर कुछ गलतियाँ की गईं, जिसमें अचानक लागू लॉकडाउन ने समस्या पैदा की। हमारे पास बहुत सारे प्रवासी हैं, जो फंस गए हैं और यह एक बड़ी समस्या बन जाएगी। उन्होंने कहा, 'राज्यों के साथ इस प्रवासी मुद्दे को कैसे हल किया जाए, इस पर केंद्रीय सरकार की एक रणनीति होनी चाहिए। मैंने अपने मुख्यमंत्रियों से कहा है कि इस स्थिति को अत्यधिक सावधानी और सौम्यता के साथ संभालें।'
राहुल ने आगे कहा, 'भारत दुनिया का एकमात्र देश है, जो प्रवासी आबादी के साथ लॉकडाउन का प्रयास कर रहा है। चीन ने प्रवासियों को जहाँ थे, वहीं रोक दिया है। हमारे पास प्रवासन की यह बड़ी समस्या है और हमारा देश काफी विविधता भी है।' इसके अलावा कांग्रेस नेता ने कहा, 'मैं यूपी और केरल में सांसद रहा हूं और मैं आपको बता सकता हूं कि उत्तर प्रदेश, केरल की तुलना में पूरी तरह से अलग है। परिणाम अलग हैं, काम करने का तरीका अलग है, शैली अलग है। इसलिए आपको मुख्यमंत्रियों को अधिक शक्ति देने की आवश्यकता है।'
सरकार से अपील करते हुए राहुल ने कहा कि मेरे विचार में केंद्र राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान दे। राज्यों को अपने क्षेत्र नियंत्रित करने दे। अगर छत्तीसगढ़ को अधिक सुगम्य लॉकडाउन की जरूरत है और अगर यूपी को टोटल लॉकडाउन चाहिए, तो मेरे विचार में सीएम को विकल्प दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'मुझे बाकी देश जो कर रहे हैं, उसमें रुचि नहीं है। मुझे सिर्फ हिंदुस्तान को लेकर रुचि है कि हम क्या कर रहे हैं। काफी क्षेत्रों में हमें सवालों के जवाब नहीं मिले- टेस्टिंग, आर्थिक प्रभाव, भोजन की समस्या, SMEs की सुरक्षा योजना आदि।' इस दौरान राहुल गांधी ने केंद्र को सुझाव भी दिया।
उन्होंने कहा, 'मेरा सुझाव हमारी अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए सुरक्षा जाल के बारे में सोचना है। भोजन कि समस्या बड़ी होने जा रही है। हमारे गोदाम भरे हुए हैं और फसल के बाद हमारे पास इसकी अधिकता होगी। वह भोजन गरीबों को देना शुरू करना चाहिए।' इसके अलावा कांग्रेस नेता ने कहा,'किसानों को संरक्षण की आवश्यकता है, पैकेज तैयार करके उसका वितरण करें। दुर्भाग्य से संकट की प्रकृति ऐसी है कि इससे हर कोई प्रभावित है, इसलिए एक ऐसा समाधान जरूरी है, जो सभी के लिए हो।' उन्होंने कहा,'मेरी सलाह है कि जितना संभव हो सबसे गरीब और कमजोर लोगों पैसा दिया जाना चाहिए। लेकिन ध्यान रखें कि एक वित्तीय समस्या आने जा रही है।'
कोरोना वायरस की जांच पर बोलते हुए राहुल ने कहा, 'जब ये बीमारी शुरू हुई तो, देशों ने टेस्टिंग किट मंगवानी शुरू कर दी। अब उनकी कमी हो गई है, क्योंकि हर देश को टेस्टिंग किट चाहिए। हमारे हिस्से में टेस्टिंग किट नहीं आ रही। इसलिए हमें इसका तरीका निकालना होगा।' वही, राहत सामग्री का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार हर सप्ताह गरीब लोगों को 10 किलो गेहूँ/चावल; 1 किलो दाल; 1 किलो चीनी दे, ताकि उनके भोजन की समस्या का समाधान हो सके।

इस दौरान राहुल ने कोरोना संकट के बीच एक दूसरे पर आरोप लगाने से बचने की सलाह देते हुए कहा, 'कोरोना से लड़ाई में सरकार की गलतियों पर हम कोरोना को हराने के बाद बात कर लेंगे। आज मैं रचनात्मक सलाह देना चाहता हूँ। ये किसी तरह की तू-तू मैं-मैं में पड़ने का समय नहीं है।' उन्होंने आगे कहा, 'मैं मोदी जी से बहुत सारी चीजों में असहमत रह सकता हूँ और रहता हूँ। लेकिन आज एकजुट होकर वायरस से लड़ने का समय है। इसमें डरने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि, एक साथ मिलकर हिंदुस्तान इस वायरस को आसानी से हरा देगा।'
राहुल गांधी ने कहा, 'मुझे किसी चीज का कोई श्रेय नहीं चाहिए। मुझे अपने देश और जनता की सुरक्षा करनी है। मुझे क्रेडिट से कोई फर्क नहीं पड़ता, जिसको श्रेय लेना है, वो ले सकता है। हमारा काम सुझाव देने का है, वो हम कर रहे हैं।' कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की संरचना बदलने की वास्तविक संभावना है। हमें सबसे पहले वायरस का ध्यान रखना होगा। हम जानते हैं कि भारत को लोकतांत्रिक कैसे बनाए रखना है। अभी हमें यह सुनिश्चित करना है कि हम इस वायरस को हराएं।
उन्होंने कहा, 'हमें अपने लोगों पैसा देने में अधिक उदार होने की आवश्यकता है क्योंकि यह उनकी रक्षा करने और हमारी आर्थिक संरचना की रक्षा करने का मामला है। हमें पैसे बचाने पर ध्यान नहीं देना चाहिए। अभी दिया गया पैसा पर्याप्त के पास नहीं है।' राहुल ने आगे कहा, 'यदि सरकार इस पर शीघ्रता से कार्रवाई नहीं करती है, तो देश में एक सामाजिक अशांति होगी। इसके लिए लोगों को दोष नहीं दे सकते, इसलिए आपको दयालु होना चाहिए। वे बाहर आ रहे हैं क्योंकि वे भूख से मर रहे हैं, सरकार को इसे ठीक करने की आवश्यकता है।'
कोरोना के खिलाफ जंग पर उन्होंने कहा, '20 अप्रैल तक हमारा मेडिकल सिस्टम 'ready to go' स्थिति में होना चाहिए। अस्पताल तैयार रहने चाहिए; टेस्ट की तैयारी रहनी चाहिए। साथ ही, उद्योगों के बारे में रणनीति होनी चाहिए। हमारा माइंडसेट अंत तक कोविड से लड़ने का होना चाहिए।' राहुल गांधी ने कहा, 'टेस्टिंग से किसी को कोई नुकसान नहीं होने वाला है। अगर इस बीमारी से लड़ना है, तो हिंदुस्तान को एक होना होगा। जाति/धर्म/उम्र सबको भूलकर एक होना पड़ेगा। जैसे ही हम आपस में लड़ेंगे, लड़ाई कमजोर हो जाएगी।'