यूक्रेन के साथ युध्द को लेकर पहले से ही पश्चिमी देश रूस से नाराज है, और रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करने की योजना कर रहे है। दरअसल रूस की इनकम का बड़ा हिस्सा तेल के निर्यात से ही आता है। G-7 की बैठक में रूस में उत्पादित कच्चे तेल की कीमत 65 से 70 डॉलर प्रति बैरल तय करने की योजना बन रही है। अभी तक रूस डिस्काउंट के साथ 65 डॉलर में कच्चा तेल बेच रहा है।
भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा
रूस यूरोपीय देशों के मुकाबले भारत और चीन को कच्चा तेल कम कीमत पर देता है। कच्चे तेल पर प्राइस कैप लगने से रूस कीमत से कम या ज्यादा दाम पर तेल नहीं बेच सकता है। इसका ज्यादा असर भारत पर भी पड़ेगा क्योंकि रूस भारत को कच्चा तेल सप्लाई करने वाला दूसरा देश है। खबर के अनुसार अमेरिका, यूरोपीय यूनियन रूसी तेल पर मूल्य सीमा तय करने के लिए भारत पर दबाब बना रहे है।
नियम पालन ना करने पर क्या होगा
रूस के कच्चे तेल पर प्राइस कैप लगने के बाद अगर कोई इसका पालन नहीं करती है तो तेल को ट्राँसपोर्ट करने वाली कंपनी जो कि शिपिंग और दूसरी सर्विसेस जैसे कि बीमा, ब्रोकरिंग और वित्तीय रूप से मदद कर रही है उन पर प्रतिबंध लग जाएगा।