H-1B visa: भारत में अमेरिकी दूतावास ने एक ज़रूरी एडवाइज़री जारी की है। दूतावास ने कहा है कि अब सभी H-1B वीज़ा आवेदकों के सोशल मीडिया अकाउंट की समीक्षा करना ज़रूरी होगा। इसका मतलब है कि अगर सोशल मीडिया अकाउंट पर अमेरिका विरोधी या संदिग्ध गतिविधियाँ पाई जाती हैं, तो वीज़ा आवेदन खारिज किए जा सकते हैं। दूसरे शब्दों में, आपके Facebook, Instagram और X (पहले Twitter) अकाउंट पर पुरानी पोस्ट से लेकर कमेंट तक सब कुछ आपके वीज़ा आवेदन पर असर डाल सकता है। 70% से ज़्यादा H-1B वीज़ा धारक भारतीय नागरिक हैं।
इस बदलाव के बाद, अमेरिका ने H-1B वीज़ा इंटरव्यू की तारीखें टालना शुरू कर दिया है। अमेरिकी विदेश विभाग 15 दिसंबर से होने वाले कई H-1B इंटरव्यू को रीशेड्यूल कर रहा है। कई इंटरव्यू मार्च 2026 तक के लिए टाल दिए गए हैं। इसका मतलब है कि H-1B वीज़ा धारक जो वीज़ा स्टैंपिंग के लिए भारत आए हैं, उन्हें अमेरिका लौटने से पहले कई महीनों की देरी का सामना करना पड़ सकता है।
दूतावास ने एडवाइज़री जारी की
भारत में अमेरिकी दूतावास ने X (पहले Twitter) पर पोस्ट किया, "अगर आपको एक ईमेल मिला है जिसमें कहा गया है कि आपकी वीज़ा अपॉइंटमेंट की तारीख बदल दी गई है, तो आपको नई तारीख पर ही आना होगा। अगर आप पुरानी तारीख पर आते हैं तो आपको एंट्री नहीं दी जाएगी।" यह एडवाइज़री इसलिए जारी की गई क्योंकि कई आवेदक गलती से अपनी पुरानी अपॉइंटमेंट तारीखों पर दूतावास पहुँच रहे थे।
नया सोशल मीडिया स्क्रीनिंग नियम क्या है?
अमेरिकी विदेश विभाग ने घोषणा की है कि 15 दिसंबर से H-1B वीज़ा आवेदकों और उनके परिवारों (H-4 वीज़ा) के लिए सोशल मीडिया स्क्रीनिंग ज़रूरी होगी। पहले, यह नियम केवल F-1 स्टूडेंट वीज़ा और कुछ एक्सचेंज वीज़ा कैटेगरी पर लागू होता था। अब, सोशल मीडिया स्क्रीनिंग को H-1B और H-4, F (स्टूडेंट वीज़ा), M, और J (एक्सचेंज वीज़ा) कैटेगरी तक बढ़ा दिया गया है।
सरकार ने कहा है कि इन सभी कैटेगरी के आवेदकों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट की प्राइवेसी सेटिंग्स पब्लिक रखनी चाहिए ताकि अमेरिकी अधिकारी उनके ऑनलाइन व्यवहार, गतिविधियों और संभावित जोखिमों की समीक्षा कर सकें।
सोशल मीडिया स्क्रीनिंग क्यों?
अमेरिकी सरकार के अनुसार, यह नियम राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए लागू किया गया है। विदेश विभाग ने कहा कि हर वीज़ा फैसला एक राष्ट्रीय सुरक्षा का फैसला होता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी आवेदक अमेरिकी लोगों या राष्ट्रीय हितों के लिए खतरा न बने।
यह कदम ट्रंप प्रशासन की विदेशी कर्मचारियों से जुड़े संभावित जोखिमों की ज़्यादा सख्ती से जाँच करने की नीति का हिस्सा है। इस साल की शुरुआत में, अमेरिका ने H-1B वीज़ा के लिए $100,000 की सालाना फीस भी लागू की थी।
देरी क्यों बढ़ रही है?
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि नई सोशल मीडिया रिव्यू प्रक्रिया में ज़्यादा समय लगता है, जिससे वीज़ा इंटरव्यू शेड्यूल करने में देरी हो रही है। कई इंटरव्यू महीनों के लिए टाले जा रहे हैं। नए नियमों के बाद, भारत और दुनिया भर के H-1B आवेदकों को ज़्यादा कागज़ी कार्रवाई, ज़्यादा जांच और लंबा इंतज़ार करना पड़ेगा। दूतावास ने साफ किया है कि जिन्हें नई इंटरव्यू की तारीख मिली है, वे सिर्फ़ उसी खास दिन दूतावास आएं।