कोरोना का खतरा अब तक टला नहीं है। भले ही कोरोना को आये कई साल हो गए और उन दिनों में खूब तबाही इस वायरस ने मचाई। लेकिन, समय के साथ दुनिया ने इसपर काबू पाने की कोशिश में सफलता पायी है। फिलहाल ये सोया हुआ खतरा दोबारा उठता दिख रहा है। ठण्ड के मौसम में कोरोना भी चुपके चुपके पैर पसार रहा है।
क्या कहते हैं भारत के आकड़ें?
भारत में वर्त्तमान में कोरोना के मामले बेहद कम है लेकिन चिंता बढ़ती दिख रही है क्यूंकि आने वाले समय में इसके बढ़ने की गुंजाईश है। आकड़ों की बात करें तो आखरी 24 घंटों में 6,000 मामले दर्ज़ किये गए हैं। सैंपल की टेस्टिंग अभी भी जारी है। वहीँ, वैक्सिनेशन और इससे बचाव के काम भी लगातार चल रहे हैं। आज भी पूरी दुनिया में कोरोना के आने की वजह चीन को ही माना जाता है और वहां हालात स्थिर नहीं हैं।
WHO ने जारी किया बयान
चीन में कोरोना के मामलों में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही है। WHO के अनुसार बीते 24 घंटों में चीन में 31,454 मामले सामने आये हैं। केवल चार ही दिनों में मरीज की संख्या 5,000 तक बढे हैं. कोरोना से सुरक्षा को मद्देनज़र रहते हुए चीन में जीरो कोविड पॉलिसी लागू है। अभी भी चीन के लोग लॉकडाउन में रहने के लिए बाध्य हैं। शाक्त नियमों का पालन वहां के नागरिक को कराया जा रहा है ताकि इस समस्या में और कोई इज़ाफ़ा ना हो। इतना ही नहीं मास टेस्टिंग और यात्रा प्रतिबंधों के साथ कोरोना के प्रसार को रोकने का भरपूर प्रयास जारी है।
संक्रमित हो चुके बच्चों में स्ट्रोक का खतरा
इस बीच परेशान करने वाली बता ये है कि कोरोना का असर अब खत्म होने के बाद बच्चों में देखा जा रहा है। कोरोना के चपेट में आ चुके बच्चों में स्ट्रोक की समस्या पायी जा रही है। इस पर अमेरिका ने एक स्टडी जारी की है. जिन बच्चों को 2020 कोरोना हुआ था उनका ब्लड फ्लो 2021 में कम हो गया जिसके कारण उन बच्चों को दौरे पड़ने लगे। वहीँ जब ये स्टडी की गयी तो ये बात भी स्पष्ट हुई कि कभी कभी बॉडी अंदर ही अपने सेल्स से लड़ रहे होते हैं। जिसे लेकर विशेषज्ञों ने कहा - ‘यह अति-प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया हो सकती है, जो बाद में होती है और बच्चों में थक्का बनने का कारण बनती है।’ यानि की कोविड ना होने वाले बच्चों में भी ये परेशानी पायी गयी है लेकिन संक्रमित हो चुके बच्चों से कम।