हरियाणा के हर गांव तक रोशनी पहुंचाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री व स्वतंत्रता सेनानी चौधरी बंसीलाल की आज जयंती मनाई जा रही है। ये वही, बंसील लाल है जिन्होंने ताऊ देवीलाल को एक बार कार से नीचे उतार दिया था, ये वही बंसी लाल हैं जिन्हें हरियाणा का ‘विकास पुरुष’ भी कहा जाता है। आज उनकी जयंती पर आइए उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्सों को याद करते हैं।
हर गांव को किया था रोशन
एक वक्त था जब हरियाणा राज्य का निर्माण हुआ था तब इसके कुछ हिस्से बिलकुल पिछड़े हुए थे। लेकिन जल्द ही हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य बना गया था जहां हर गांव के घर में बिजली पहुंचाई गई। यहां सड़कें बनीं और नहरों का जाल बिछाया गया। इस सबके पीछे बंसीलाल का परिश्रम था। उस वक्त एक अखबार में छपा था कि देश के पुराने हों या नए, 21 राज्यों में सिर्फ हरियाणा ने ही महात्मा गांधी के सपने 'हर गांव और हर शहर तक बिजली' पहुंचाने का काम कर दिखाया है।
ताऊ देवीलाल को कार से नीचे उतारा
चौधरी देवीलाल और बंसीलाल के एक किस्से का भीम एस दहिया जिक्र करते हुए अपनी किताब में लिखते हैं कि एक बार चौधरी देवीलाल को चौधरी बंसीलाल ने हरियाणा स्टेट खादी बोर्ड का चेयरमैन बना दिया था। ऐसे में एक दिन दोनों किसी काम से साथ में दिल्ली जा रहे थे। इस दौरान देवीलाल बार-बार बंसीलाल को किसी मामले पर अपनी सलाह दे रहे थे। तेज मिजाज बंसीलाल इस बात से इतने चिढ़ गए कि उन्होंने तुरंत ड्राइवर से गाड़ी रोकने को कहा और ड्राइवर ने रास्ते में ही गाड़ी एक तरफ खड़ी कर दी। बंसीलाल ने चौधरी देवीलाल को गाड़ी से वहीं रास्ते में उतार दिया और चले गए। हालांकि ये अलग बात है कि देवीलाल ने बंसीलाल को इमरजेंसी के बाद गिरफ्तार भी करवाया दिया था।
ये बात सब जगह आग की तरह फैल गई कि बंसीलाल ने बीच रास्ते में देवीलाल को गाड़ी से उतार दिया। इसके कुछ दिन बाद जब बंसीलाल चंडीगढ़ से दिल्ली जा रहे थे। इस बार उनके साथ चौधरी सुलतान सिंह सफर कर रहे थे। बातों-बातों में बंसीलाल ने सुलतान सिंह से किसी मामले पर सलाह मांगी। देवीलाल के किस्से से डर हुए सुलतान सिंह ने कहा कि वो अपनी सलाह तभी उन्हें देंगे जब कार किसी पेड़ के नीचे रोकी जाएगी। बंसीलाल ने पूछा कि सलाह से पेड़ की छाया का क्या मतलब तो सुलतान सिंह ने कहा कि यदि आप मुझे कार से उतार देते हैं तो कम से कम मैं धूप में झुलसने से बच जाऊंगा। ये बात सुनकर बंसीलाल जोर-जोर से हंसने लगे। इसके बाद जब भी उन्हें दिल्ली आना या जाना होता था तो वह यह कोशिश करते थे कि चौधरी सुल्तान सिंह को ही अपने साथ ला सकें।