Supreme Court: क्या पत्नी के इजाजत के बिना उसकी कॉल रिकॉर्डिंग करना गोपनीयता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन माना जाएगा। बता दें की सुप्रीम कोर्ट ने 14 जुलाई को एक अहम फैसले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि बिना पत्नी की इजाजत के उसकी फोन बातचीत रिकॉर्ड करना गोपनीयता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है और इसे फैमिली कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश नहीं किया जा सकता।
जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने साफ किया
लाइव एंड लॉ के मुताबिक, जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने साफ किया कि पति-पत्नी के बीच की गुप्त रूप से रिकॉर्ड की गई फोन बातचीत को तलाक की कार्यवाही में सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 122 पति-पत्नी के बीच की बातचीत को बिना सहमति के उजागर करने से रोकती है, लेकिन उसमें एक अपवाद भी है। पीठ ने कहा, "यह अपवाद उन मामलों में लागू होता है, जहां पति-पत्नी के बीच कानूनी कार्यवाही चल रही हो या एक पक्ष दूसरे के खिलाफ अपराध के मामले में मुकदमा लड़ रहा हो।"कोर्ट ने इसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार के साथ जोड़ा।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में गोपनीयता का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। जस्टिस नागरथना ने स्पष्ट किया कि धारा 122 गोपनीयता के अधिकार को मान्यता नहीं देती, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच की गोपनीयता में एक अपवाद की इजाजत देती है।कोर्ट ने कहा कि यह धारा संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गोपनीयता के अधिकार को प्रभावित नहीं करती। कोर्ट ने आगे कहा, "हमें नहीं लगता कि इस मामले में गोपनीयता का कोई उल्लंघन हुआ है। धारा 122 गोपनीयता के अधिकार को मान्यता नहीं देती। बल्कि, यह पति-पत्नी के बीच गोपनीयता के अधिकार में अपवाद बनाती है। यह निष्पक्ष सुनवाई, प्रासंगिक सबूत पेश करने और अपने मामले को साबित करने के अधिकार को मान्यता देती है, ताकि पक्षकार को राहत मिल सके।"