जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय कैंपस (Jawaharlal Nehru University Campus) में पीएचडी स्कॉलर मयंक (PhD scholar Mayank) की सीने में दर्द की शिकायत के बाद उपचार के दौरान बुधवार को मौत हो गई। छात्रसंघ (student Union) ने यह आरोप लगाया कि समय पर उपचार न मिलने से एक छात्र की मौत हुई है। वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन (university administration) ने आरोप का खंडन किया है।
जेएनयू छात्रसंघ (JNUSU) के पूर्व अध्यक्ष एनसाई बालाजी (Ensai Balaji) ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य केंद्र में समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण सेंटर फॉर रशियन स्टडीज (Center for Russian Studies) में पीएचडी के छात्र व ताप्ती छात्रावास में रहने वाले मयंक की बुधवार को मौत हो गई। जेएनयू छात्रसंघ के संयोजक आदर्श कुमार (Adarsh Kumar, Convener of JNU Students Union) ने कहा कि मयंक ने 21 मार्च को ही सीने में दर्द की शिकायत की थी, जिसके बाद उसे उसके दोस्त स्वास्थ्य केंद्र (Health Center) भी लेकर गए थे।
आदर्श कुमार का आरोप लगाया कि इसके बावजूद उसे तत्काल उपचार नहीं मिला। स्वास्थ्य केंद्र ने उसे एम्स (AIIMS) रेफर करने में भी देर कर दी, फलस्वरूप मयंक ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। इस पर छात्रसंघ का आरोप है कि इस घटना के लिए कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री पंडित (Vice Chancellor Professor Shantisree Pandit) और यूजीसी अध्यक्ष व पूर्व कुलपति प्रो. एम जगदीश कुमार (Former Vice Chancellor Prof. M Jagdish Kumar) के अलावा स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारी भी जिम्मेदार हैं।
हमारी ओर से इस मामले में कोई चूक नहीं- डीन ऑफ स्टूडेंट्स
जेएनयू के डीन ऑफ स्टूडेंट्स सुधीर प्रताप सिंह (JNU Dean of Students Sudhir Pratap Singh) ने इन आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि हां मयंक ने सीने में दर्द होने की शिकायत की थी। इसके बाद उसे जेएनयू के डॉक्टर के पास तुरंत से जाया गया था। इसके बाद जब उसकी ईसीजी असामान्य आई, तब उसे अस्पताल के लिए रेफर किया गया। शुरुआत में ऐसा जान पड़ता है कि यह मामला हृदयगति रुक जाने (heart failure) का है। हम इसकी पूरी जांच कर रहे हैं, लेकिन इस मामले में हमारी ओर से कोई चूक नहीं हुई।