देश में कोरोना संकट को लेकर विवादों में आए तबलीगी जमात को लेकर निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा है कि इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। कभी पेशे से डॉक्टर रहीं तसलीमा नसरीन ने कहा कि तबलीगी जमात मुस्लिम समाज को 1400 साल पीछे ले जाना चाहता है। तसलीमा ने दिल्ली में तबलीगी जमात के एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल लोगों के कारण कई लोगों के कोरोना से संक्रमित होने के मद्देनजर यह प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा, ''मैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में भरोसा करती हूं लेकिन कई बार इंसानियत के लिये कुछ चीजों पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है। यह जमात मुसलमानों को 1400 साल पुराने अरब दौर में ले जाना चाहती है।'' तसलीमा नसरीन ने कहा, ''हम मुस्लिम समाज को शिक्षित, प्रगतिशील और अंधविश्वासों से बाहर निकालने की बात करते हैं। लेकिन, लाखों की तादाद में मौजूद ये लोग अंधकार और अज्ञानता फैला रहे हैं। मौजूदा समय में साबित हो गया कि ये अपनी ही नहीं दूसरों की जिंदगी भी खतरे में डाल रहे हैं। जब इंसानियत एक वायरस के कारण खतरे में पड़ गई है तो हमें बहुत एहतियात बरतने की जरूरत है।''
उन्होंने कहा, ''मुझे समझ में नहीं आता कि इन्हें मलेशिया में संक्रमण की खबरें आने के बाद भारत में आने ही क्यों दिया गया। ये इस्लाम की कोई सेवा नहीं कर रहे हैं।'' वर्ष 1984 में एमबीबीएस की डिग्री लेने वालीं तसलीमा ने कहा कि कोविड महामारी से जूझते चिकित्सकों को देखकर उन्हें नब्बे के दशक की शुरुआत का वह दौर याद आ गया, जब बांग्लादेश में हैजे के प्रकोप के बीच खुद वह भी इसी तरह दिनरात इलाज में लगी हुई थीं। तब वह मैमनसिंह में संक्रामक रोग अस्पताल में कार्यरत थीं। यह पूछने पर कि क्या फिर से सफेद कोट पहनने की इच्छा होती है, उन्होंने कहा-अब बहुत देर हो गई है, सब कुछ बदल चुका है।
बता दें कि तसलीमा की दो बहुचर्चित किताबें ‘माय गर्लहुड’ और ‘लज्जा’ का अगला भाग ‘शेमलेस ’ इसी महीने रिलीज होनी थी लेकिन लॉकडाउन के चलते अब उनका किंडल स्वरूप में आना ही संभव लग रहा है। उन्होंने कहा, ''मेरी एक किताब तो बुक स्टोर में पहुंच चुकी थी कि अगले दिन लॉकडाउन हो गया। दूसरी 14 अप्रैल को रिलीज होनी थी लेकिन अब संभव नहीं लगता। शायद किंडल रूप में आए। वैसे भी इससे कहीं ज्यादा जरूरी लॉकडाउन था।''