Delhi Liquor Scam: दिल्ली विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सीएम रेखा गुप्ता ने दिल्ली में कथित तौर पर हुए शराब घोटाले से जुड़ी सीएजी की पहली रिपोर्ट सदन में पेश की। हालांकि इस दौरान सदन में विपक्ष (AAP) का कोई विधायक मौजूद नहीं था क्योंकि एलजी के अभिभाषण के समय विपक्षी नेताओं ने हंगामा किया था। इस कारण स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने सभी विपक्षी नेताओं को बाहर निकाल दिया था। ऐसे में विपक्षी नेताओं की गैर मौजूदगी में ही शराब घोटाले की सीएजी रिपोर्ट पेश की गई।
कांग्रेस ने शराब नीति घोटाले को लेकर की सजा की मांग
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव कथित तौर पर हुए शराब घोटाला मामले को लेकर सीएजी रिपोर्ट का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि शराब घोटाला मामले में लिप्त सभी दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। इससे 2002.68 करोड़ का नुकसान हुआ है। राजस्व को नुकसान पहुंचाने वाला दिल्ली की जनता का दोषी है। उन्होंने अरविंद केजरीवाल और आप नेताओं के लिए कहा कि 'जो लोग शराब घोटाला मामले में जमानत पर रिहा हैं, उन्हें जल्द से जल्द सजा होनी चाहिए।'
सीएजी रिपोर्ट में हुए ये खुलासे
सीएजी रिपोर्ट अनुसार, शराब नीति के कारण दिल्ली सरकार को 2002.68 करोड़ रुपए का घाटा हुआ।
नई शराब नीति में दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के नियम 35 को लागू नहीं किया गया था।
दिल्ली सरकार ने ऑडिटेड वित्तीय विवरण, बिक्री डेटा, थोक मूल्य, आपराधिक पृष्ठभूमि, दिवालियापन जैसे तमाम मानदंडों की जांच किए बिना शराब विक्रेताओं को लाइसेंस दे दिए।
नई शराब नीति के तहत 849 दुकानों के साथ 32 खुदरा क्षेत्र बनाए गए लेकिन केवल 22 निजी संस्थाओं को लाइसेंस दिए गए।
शराब नीति में पारदर्शिता की कमी रही। इस नीति के तहत एक आवेदक को 54 शराब की दुकानें चलाने की अनुमति दी गई। हालांकि पहले एक आवेदक को केवल दो ही दुकानें चलाने की अनुमति थी।
शराब के थोक विक्रेताओं को पहले 5 फीसदी मार्जिन मिलता था, जिसे बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया।
वित्तीय रूप से कमजोर संस्थाओं को भी शराब की दुकान चलाने के लाइसेंस दिए गए।
आप की नई शराब नीति ने शराब निर्माताओं को एक ही थोक विक्रेता के साथ गठजोड़ करने के लिए मजबूर किया।
आप सरकार ने 2021-22 की आबकारी नीति का ड्राफ्ट तैयार किया था। इस दौरान उन्होंने अपने ही एक्सपर्ट्स समिति की सिफारिशों को अनदेखा किया।
इसके अलावा केवल तीन थोक विक्रेताओं को ही 71 फीसदी से ज्यादा शराब आपूर्ति का टेंडर दिया। इसमें इंडोस्पिरिट, महादेव लिकर और ब्रिडको कंपनी शामिल हैं।
शराब की बोतलों पर छूट देने से पहले किसी से कोई विचार विमर्श नहीं किया गया। कैबिनेट और एलजी की मर्जी के बिना ही सारे नियम बनाए गए। इस तरह कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ।
MCD या DDA से अप्रूवल लिए बिना ही कई क्षेत्रों में शरब की दुकानों को मंजूरी दी गई। हालांकि 2022 की शुरुआत में MCD ने निरीक्षण किया और 23 में से दुकानों को अवैध बताते हुए सील कर दिया था। इससे साफ होता है कि नई शराब नीति के तहत उचित प्रक्रिया को दरकिनार किया गया था।