फिक्शन और फंतासी की दुनिया में आज धूमकेतु की तरह चमक रही अमेरिकी लेखिका सारा जेनेट मास की प्रसिद्ध कृतियों में 2012 में आईं ‘थ्रोन ऑफ ग्लास’ सीरीज की किताबें हैं। इसमें वे एक जगह पुस्तकालयों की चर्चा करती हैं। वे कहती हैं कि पुस्तकालय विचारों से भरे रहे हैं, शायद सभी हथियारों में सबसे खतरनाक और शक्तिशाली। यहां हथियार शब्द का इस्तेमाल उन्होंने विचार या मानवीय बुद्धिमत्ता के लिए किया है। सारा के शब्दों को सामने रखते हुए डिजिटल दौर में पुस्तकालयों की जरूरत और भूमिका पर बात करें तो कई रोचक और सराहनीय तथ्य सामने आते हैं। आज सबसे बड़ी चुनौती विचार और ज्ञान को पुराने पड़े पीले पन्नों से उठाकर डिजिटलाइज करने की है। अच्छा लगता है यह जानकर कि यह विवेक आज बिहार जैसे प्रदेश में दिखलाई पड़ रहा है, जहां के समाज और सरकार को लेकर एक खास तरह के पूर्वाग्रह से हम ग्रसित रहे हैं। बिहार सरकार ने इसी दिशा में ‘मुख्यमंत्री डिजिटल लाइब्रेरी योजना’ के नाम से एक बड़ा और दूरदर्शी प्रयास किया है। यह योजना बच्चों और युवाओं को डिजिटल संसाधनों के माध्यम से जोड़ने की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जो बिहार के हर कोने में शिक्षा के नए साधन उपलब्ध करा रही है। बिहार के दूरदराज के इलाकों में पढ़ाई के संसाधन सीमित रहे हैं, इस कमी के कारण कई युवाओं के सपने उड़ान भरने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। पर यह स्थिति अब बदल रही है। खासतौर पर जब से डिजिटल लाइब्रेरी की नींव पड़ी है, तब से यह कहीं अधिक सुलभ, समेकित और समकालीन शिक्षा का स्रोत बन गई है। अब हर विधानसभा क्षेत्र, पंचायत और कॉलेज में ऐसे केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं जहां विद्यार्थी ऑनलाइन कोर्स, ई-बुक्स और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए जरूरी सामग्री पा सकते हैं। बिहार सरकार ने इसके लिए 94 करोड़ 50 लाख रुपए स्वीकृत कर इस योजना को एक सशक्त राशि के साथ लॉन्च किया है जिसे देखकर शिक्षा के प्रति उनकी गंभीर प्रतिबद्धता झलकती है।
समेकित और समकालीन शिक्षा का स्रोत
तकनीक के सहारे यह योजना युवा पीढ़ी को सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उन्हें करियर की बेहतर संभावनाओं के लिए तैयार भी करती है। प्रत्येक डिजिटल लाइब्रेरी केंद्र में कम से कम दस कंप्यूटर के साथ हाई-स्पीड इंटरनेट और पर्याप्त बैठने की जगह होगी। ऐसे केंद्रों की उपस्थिति से छात्र न केवल अपने स्कूल या कॉलेज के कोर्स ऑनलाइन पढ़ सकेंगे, बल्कि जीईई, नीट, क्लैट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी प्रभावी ढंग से कर सकेंगे। साथ ही रोजगार संबंधी ऑनलाइन कोर्स, सरकारी व निजी रोजगार पोर्टल की जानकारी भी मिलेगी, जो युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा है। डिजिटल लाइब्रेरी केंद्रों में आधुनिक सुविधा का पूरा इंतजाम है। बिजली, पानी, प्रिंटर, स्कैनर, समाचार पत्र और तकनीकी सहायता से लैस ये केंद्र विद्यार्थियों को एक पूर्ण वातावरण उपलब्ध कराते हैं। पटना में जहां एक मॉडल लाइब्रेरी केंद्र में 60 कंप्यूटर होंगे, वहीं अन्य क्षेत्रीय केंद्रों में भी 50 कंप्यूटर की उत्कृष्ट व्यवस्था की गई है। अपनी जगह न होने पर पंचायत स्थानीय भवन को 1 रुपये के सालाना किराए पर लेकर लाइब्रेरी चला सकती है। इस तरह यह पहल जितनी आर्थिक रूप से सशक्त है, उतनी ही व्यावहारिक और सभी के लिए उपलब्ध है।
डिजिटल माध्यम से करियर की योजना
गांव-गांव तक शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए “जीविका दीदी” मॉडल को अपनाया गया है। 7,953 से अधिक नए डिजिटल लाइब्रेरी केंद्र खोलकर सरकारी प्रयासों ने युवाओं को हाथ थामने का प्रस्ताव रखा है। इन लाइब्रेरीज में विषयवार किताबें, प्रतियोगी परीक्षा की विशेष सामग्री और दैनिक समाचार पत्र उपलब्ध होंगे ताकि बच्चा हर क्षेत्र में समग्र ज्ञान प्राप्त कर सके। साथ ही, स्थानीय महिलाओं और समूहों को लाइब्रेरी संचालन में अवसर दिया जाना समाज के लिए भी संरचनात्मक बदलाव लाएगा। बिहार शिक्षा विभाग द्वारा विकसित किया गया e-LoTS पोर्टल और मोबाइल एप किशोरों के लिए डिजिटल पढ़ाई को और भी आसान बनाता है। यह पहल कक्षा 1 से लेकर 12 तक के सभी विद्यार्थियों को मुफ्त में पढ़ाई के लिए किताबें, वीडियो लेक्चर और मॉडल प्रश्नपत्र उपलब्ध कराने का एक सशक्त माध्यम है। जिस तकनीकी क्रांति की बात हम आज करते हैं, इस योजना ने उसे गांव-गांव तक पहुंचाकर शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव की शुरुआत की है। युवा पीढ़ी आज की बदलती दुनिया के लिए जरूरी डिजिटल कौशल सीखने के लिए इस योजना का बड़ा फायदा लेगी। कंप्यूटर की मूल बातें सीखना, ऑनलाइन जानकारी जुटाना, जॉब पोर्टल पर आवेदन करना और डिजिटल माध्यम से करियर की योजना बनाना अब वास्तविकता का हिस्सा बन गए हैं। ऐसे अवसर युवाओं को आत्मनिर्भर बना कर न केवल उनके व्यक्तिगत विकास में सहायता करेंगे, बल्कि राज्य की प्रगति में भी योगदान देंगे। इस योजना से बिहार को न केवल शिक्षा बल्कि सामाजिक और आर्थिक तौर पर भी मजबूती मिलेगी।
देश की प्रगति में अपने योगदान से इतिहास रचेगा
दूरदराज के इलाकों के बच्चे डिजिटल इंडिया के सपना को साकार करने में आगे बढ़ेंगे, और सरकार की यह पहल लाखों युवाओं के जीवन में उम्मीद और बदलाव की किरण बनेगी। यह सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि बिहार के उज्जवल भविष्य की नींव है, जहां हर बच्चा और युवा गर्व महसूस करता है कि वहअपनी मेहनत और लगन से आगे बढ़ सकता है। बिहार की यह डिजिटल क्रांति इस बात का प्रमाण है कि ज्ञान और तकनीक का सही संयोजन नौजवानों को केवल बेहतर आज नहीं देता, बल्कि भविष्य की चुनौतियों के लिए बेहतर तैयारी भी कराता है। इस योजना के माध्यम से बिहार का हर युवा डिजिटल युग में अपनी अलग पहचान बना सकेगा और देश की प्रगति में अपने योगदान से इतिहास रचेगा।