Tariff war: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से भारत पर लगाया गया 25 फीसदी आयात शुल्क 7 अगस्त (अमेरिकी समयानुसार) से प्रभावी होगा। इस टैरिफ के लागू होन से एक दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूस के साथ व्यापार का जिक्र करते हुए भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ भी लगाने का एलान कर दिया। बढ़ा हुआ टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा। यानी इस महीने के अंत तक भारत से अमेरिका जाने वाले उत्पादों पर कुल टैरिफ 50 फीसदी तक पहुंच जाएगा।
हथियार खरीद को 25 अरब डॉलर तक बढ़ाने का भरोसा दिया था
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत ट्रंप के राष्ट्रपति पद ग्रहण करने के करीब एक महीने बाद फरवरी में शुरू हो गई थी। यानी भारत उन पहले कुछ देशों में था, जिसने अमेरिका के साथ जल्द से जल्द व्यापार समझौते को प्राथमिकता दी। दोनों देशों ने व्यापार वार्ता के लिए अपने प्रतिनिधिमंडलों का भी एलान कर दिया था। हालांकि, बीते पांच महीनों में पांच बैठकों के बावजूद भारत-अमेरिका समझौता नहीं कर पाए। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वैंस इस साल अप्रैल में भारत आए थे। उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल ने भारत के साथ बातचीत के मसौदे को अंतिम रूप भी दिया। माना जा रहा था कि इस बैठक के बाद भारत को कई क्षेत्रों में छूट मिल गई। तब सामने आया था कि भारत ने अमेरिका को उसके औद्योगिक उत्पादों के निर्यात पर कोई भी टैरिफ न लगाने का प्रस्ताव दिया था। औद्योगिक उत्पाद अमेरिका की तरफ से भारत को किए जाने वाले कुल निर्यात का 40 फीसदी हैं। भारत ने एल्कोहल के साथ अमेरिकी कारों पर भी टैरिफ दर घटाने पर सहमति जताई थी। साथ ही अमेरिका के 45 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार घाटे को कम करने के लिए उसकी ऊर्जा और हथियार खरीद को 25 अरब डॉलर तक बढ़ाने का भरोसा दिया था।
अमेरिका के शीर्ष अधिकारियों के हवाले पर दावा किया
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने व्यापार समझौते को लेकर बातचीत में शामिल रहे भारत और अमेरिका के शीर्ष अधिकारियों के हवाले पर दावा किया है कि अमेरिका जैसे-जैसे दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों, जैसे वियतनाम, इंडोनेशिया, जापान आदि से मनमुताबिक व्यापार समझौते की तरफ पहुंचने लगा, वैसे ही उसे भारत के साथ होने वाली बातचीत में अपने लिए ज्यादा मौके नजर आने लगे। आखिरकार यूरोपीय संघ से हुए व्यापार समझौते ने अमेरिका-भारत की बातचीत में ट्रंप प्रशासन को और ज्यादा शर्तें लगाने का मौका दे दिया। उधर भारतीय अधिकारी कुछ सेक्टर्स को भारत के लिए अहम बताते हुए अमेरिकी मांगों के आगे नहीं झुके।