CJI BR Gavai: न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश का पद संभाल लिया। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ ग्रहण कराई। जस्टिस गवई ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की जगह ली, जो बीते दिन ही सेवानिवृत्त हुए थे। इससे पहले बीते माह की 30 तारीख को कानून मंत्रालय ने जस्टिस गवई की भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी की थी। 16 अप्रैल को सीजेआई खन्ना ने केंद्र सरकार से उनके नाम की सिफारिश की थी। जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा। वह 23 दिसंबर को सेवानिवृत्त होंगे।
जस्टिस गवई का 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में जन्म
जस्टिस गवई का 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में जन्म हुआ था। उन्होंने 1985 में कानूनी करियर शुरू किया। 1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की। इससे पहले उन्होंने पूर्व एडवोकेट जनरल और हाईकोर्ट जज स्वर्गीय राजा एस भोंसले के साथ काम किया। 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत की। अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर के रूप में नियुक्त हुए। 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में प्रमोट हुए। 12 नवंबर 2005 को बॉम्बे हाईकोर्ट के परमानेंट जज बने।
चुनाव लड़ने के लिए किसी जज का इस्तीफा देना
जस्टिस गवई 19 अक्टूबर 2024 को गुजरात के अहमदाबाद में न्यायिक अधिकारियों के वार्षिक सम्मेलन में शामिल हुए थे। तब उन्होंने कहा था कि पद पर रहते हुए और शिष्टाचार के दायरे से बाहर जज के किसी राजनेता या नौकरशाह की प्रशंसा करने से पूरी न्यायपालिका में लोगों का भरोसा प्रभावित हो सकता है।चुनाव लड़ने के लिए किसी जज का इस्तीफा देना निष्पक्षता को लेकर लोगों की धारणा को प्रभावित कर सकता है। ज्यूडिशियल एथिक्स और ईमानदारी ऐसे बुनियादी स्तंभ हैं जो कानूनी व्यवस्था की विश्वसनीयता को बनाए रखते हैं। न्यायपालिका में जनता के विश्वास को बरकरार रखना जरूरी है। अगर विश्वास कम हुआ तो वे ज्यूडिशियल सिस्टम के बाहर न्याय तलाश करेंगे।