Delhi Pollution: दिवाली के करीब आते ही भारत के उत्तरी इलाकों में जहरीली धुंध छाने लगी है। इस साल दिवाली से पहले, जो 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी, दिल्ली की हवा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 10 गुना अधिक हो गई है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, रविवार शाम को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 356 था। 201 से 300 के बीच के AQI को 'खराब', 301 से 400 के बीच के AQI को 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच के AQI को 'गंभीर' माना जाता है। आने वाले दिनों में यह सूचकांक और भी खराब होने वाला है।
अक्टूबर और नवंबर के महीनों में कई स्रोतों से वायु प्रदूषण होता है। हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने से वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि होती है, साथ ही पटाखे जलाने से स्थिति और भी खराब हो जाती है।
गेहूं और चावल जैसे अनाज की कटाई के बाद बची हुई फसल को आग लगाने से पराली जलाई जाती है। यह उन जगहों पर आम बात है, जहाँ किसान कटाई के लिए संयुक्त तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।
भारत में यह प्रथा अवैध होने के बावजूद हर साल पराली जलाने के मामले सामने आते हैं। इस प्रथा से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), सल्फर ऑक्साइड (SOx) और मीथेन (CH4) जैसे गैसीय प्रदूषक निकलते हैं, साथ ही पार्टिकुलेट मैटर (PM10 और PM2.5) भी निकलते हैं, जिससे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाता है।