Nalanda University inauguration: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर का दौरा भी किया। नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत कई प्रमुख हस्तियां मौजूद रही।
बता दें कि नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 2010 में भारतीय संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी। इसके पहले चांसलर अमर्त्य सेन थे, उसके बाद सिंगापुर के पूर्व विदेश मंत्री जॉर्ज येओ ने यह जिम्मेदारी संभाली गई थी।
प्रधानमंत्री ने नालंदा विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक महत्व पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि- नालंदा का अर्थ है जहां शिक्षा और ज्ञान का अविरल प्रवाह होता है। नालंदा में शिक्षा सीमाओं और राष्ट्रीयता से परे थी, जहां 20 से अधिक देशों के विद्यार्थी पढ़ते थे। यह विश्वविद्यालय एशिया की सदी के रूप में उभरने वाली 21वीं सदी को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने कहा कि भारत ने योग और आयुर्वेद जैसी प्राचीन विधाओं को पुनर्जीवित कर पूरी दुनिया में एक नई पहचान बनाई है। पीएम मोदी ने कहा कि हमारा मिशन है कि भार दुनिया में एक बार फिर से शिक्षा और ज्ञान का केंद्र बने और यह दुनिया को एक नई दिशा दे सके। 21 जून को विश्व योग दिवस है आज पूरी दुनिया योग को अपना रही है। पीएम मोदी ने योग की प्राचीन विधाओं और आयुर्वेद को स्वस्थ जीवन शैली के रूप में स्वीकार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारत ने "मिशन लाइफ" के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और प्रगति को एक साथ आगे बढ़ाया है। यह भारत के ऋषियों और विद्वानों के गहन शोध का परिणाम है कि आज पूरी दुनिया योग और आयुर्वेद को अपना रही है।
नालंदा विश्वविद्यालय के उद्घाटन से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा- यह विश्वविद्यालय युवाओं की शैक्षिक जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगा। यह हमारे शिक्षा क्षेत्र के लिए एक बहुत ही खास दिन है। आज सुबह 10:30 बजे, राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन होगा। नालंदा का हमारे गौरवशाली अतीत से गहरा संबंध है।
नालंदा पांच धर्मों का संगम स्थल: नीतीश कुमार
सीएम नीतीश कुमार ने पीएम मोदी का स्वागत करते हुए कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय की दोबारा स्थापना भारत के स्वर्णिम युग की शुरुआत का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह जगह पांच धर्मों का संगम स्थल है और यहां के प्राचीन खंडहर आज भी ज्ञान के केंद्र के प्रतीक हैं। उन्होंने बताया कि 12वीं सदी में नष्ट हुए इस विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित करने के प्रयास मार्च 2005 में शुरू हुए थे। सीएम नीतीश कुमार ने राजगीर की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्वता पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि यह जगह सिख, मुस्लिम, हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्मों का संगम स्थल है। यहां का गर्म पानी का कुंड, प्राचीन पहाड़, जंगल और जड़ी-बूटियों का भंडार इसे एक महत्वपूर्ण ईको टूरिज्म केंद्र बनाते हैं।