Adani Hindenburg Row: अरबपति गौतम अदानी की कॉन्गलोमरेट कंपनी Adani Group पर लगे आरोपों की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। शुक्रवार को शीर्ष अदालत में हुई कार्रवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से एक्सपर्ट पैनल के लिए भेजे नामों के सील कवर को खारिज कर दिया।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला ने कहा कि वो मामले में पारदर्शिता बनाए रखने और निवेशकों के हित में केंद्र से सीलबंद लिफाफे में नाम नहीं लेंगे। आज की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अदानी-हिंडनबर्ग मामले में कमेटी बनाने के मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट मामले में कमेटी के अधिकार क्षेत्र भी तय करेगा।
केन्द्र के सुझाए नामों को कोर्ट ने किया खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने बाजार नियामक SEBI की और से कमेटी के लिए सीलबंद रिपोर्ट में सुझाव नामों को ठुकरा दिया। कोर्ट ने कहा कि वो निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जांच कमिटी खुद बनाएगा। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के किसी वर्तमान जज को भी कमिटी में शामिल किया जाए, इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ये व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।
कोर्ट ने इसके पहले हुई सुनवाई में निवेशकों की सुरक्षा के लिए मौजूदा नियमों के फ्रेमवर्क की समीक्षा करने के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी बनाने का सुझाव दिया था, जिसपर केंद्र की ओर से एक पैनल बनाने और अपनी ओर से कुछ नामों को सबमिट करने का सुझाव दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 10 फरवरी को कहा था कि अदानी ग्रुप के शेयरों की कीमतों में भारी गिरावट के चलते भारतीय निवेशकों के हितों को मार्केट वॉलेटिलिटी को देखते हुए सुरक्षा करने की जरूरत है।
पूरी तरह से पारदर्शिता बरतना चाहते हैं- कोर्ट
वहीं आज कोर्ट ने कहा कि "हम केंद्र की ओर से सीलबंद लिफाफे में नाम स्वीकार नहीं कर सकते। हम पूरी तरह से पारदर्शिता बरतना चाहते हैं. ऐसा करने पर ऐसा प्रभाव जाएगा कि यह कमिटी सरकार की ओर से नियुक्त समिति है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया है. हम अपनी खुद की कमिटी बनाएंगे।"
Adani-Hindenburg Case के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चार याचिकाएं
वकील एम एल शर्मा और विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और कार्यकर्ता मुकेश कुमार ने अब तक सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर चार जनहित याचिकाएं दायर की हैं। अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म Hindenburg Research की अदानी ग्रुप के खिलाफ कई आरोप लगा जाने के बाद, ग्रुप के शेयरों की कीमतों में काफी गिरावट आई है। हालांकि, समूह ने उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज किया है।