Iran-Israel War: ईरान इस्राइल युद्ध में अमेरिका की एंट्री हो चुकी है। अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर रविवार तड़के बम बरसाए। जिसके बाद ईरान ने भी पलटवार की धमकी दी है। इस घटनाक्रम के बाद पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने की आशंका है। इसका सीधा असर तेल की कीमतों पर पड़ेगा। हालांकि भारत ने पहले ही हालात को भांपते हुए रणनीति के तहत रूस और अमेरिका से कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया है। भारत ने जून महीने में रूस से इतना तेल खरीदा है, जो पश्चिम एशिया और खाड़ी देशों से खरीदे गए कुल कच्चे तेल से भी ज्यादा है।
तनाव बढ़ने से तेल के दाम बढ़ सकते हैं
तनाव बढ़ने से तेल के दाम बढ़ सकते हैं। ईरान ने धमकी दी थी कि अगर अमेरिका इस्राइल के साथ उसके युद्ध में शामिल हुआ तो वे होर्मुज जलडमरूमध्य में व्यापारिक जहाजों पर हमले करेंगे। भारत का 40 प्रतिशत तेल अभी भी होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर भारत पहुंचता है। ईरान के समर्थन में हूती विद्रोही भी लाल सागर में व्यापारिक जहाजों को निशाना बना सकते हैं। जिससे खाड़ी के देशों से तेल आयात को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक है और पूर्व में भारत अपने तेल आयात का अधिकतर हिस्सा खाड़ी के देशों से आयात करता था, लेकिन रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद, जब रूस ने भारत को तेल खरीद पर भारी रियायत दी तो भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया। अब भारत अपने तेल आयात के लिए खाड़ी देशों पर ही निर्भर नहीं है, बल्कि अब हम रूस के साथ ही अमेरिका, लैटिन अमेरिकी देशों से भी कच्चे तेल की खरीद कर रहे हैं। हालांकि अमेरिका से हमें तेल आयात महंगा पड़ता है।