Iran-Israel Conflict: ईरान-इस्राइल संघर्ष का असर भारतीय कंपनियों पर भी पर सकता है। बता दें की ईरान और इस्राइल संघर्ष को लेकर भारत के कारोबार और भारतीय कंपनियों पर इसका असर निकट भविष्य में सीमित रहने की उम्मीद है, क्योंकि कम पूंजीगत व्यय और कंपनियों की बैलेंस शीट की मजबूती संभावित प्रभाव से सुरक्षा प्रदान करेगी। क्रिसिल ने पश्चिम एशिया तनाव पर रिपोर्ट जारी की है, जिसमें यह कहा गया है कि मध्य पूर्व में तनाव का असर भारतीय कंपनियों पर निकट भविष्य में सीमित रहेगा लेकिन यदि युद्ध लंबे समय तक चला तो कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और आपूर्ति बाधित होने से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
बासमती चावल के निर्यात पर बहुत अधिक असर
रिपोर्ट के अनुसार ईरान और इस्राइल के बीच चल रहे संघर्ष का असर अभी भाारतीय उद्योग जगत और वैश्विक व्यापार अभी तक नहीं पड़ा है, लेकिन यदि स्थितियां और बिगड़ती हैं, तो बासमती चावल के निर्यात पर बहुत अधिक असर पड़ सकता है। जबकि उर्वरक और हीरे कटिंग व पॉलिश के कारोबार पर असर देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल भारत ने ईरान को लगभग 6,734 करोड़ रुपये का चावल निर्यात किया था जो कुल चावल निर्यात का लगभग 25 प्रतिशत था। निर्यात बाधित होने से घरेलू बाजार में बासमती चावल के दामों में 10 से 15 प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिल सकती है। वहीं चाय के निर्यात भी प्रभावित होने की आशंका है।
संयुक्त अरब अमीरात जैसे विकल्प व्यापारिक केंद्र
रिपोर्ट के अनुसार घरेलू हीरा पॉलिश करने वालों के लिए इस्राइल मुख्य रूप से एक व्यापारिक केंद्र है, जहां पिछले वित्त वर्ष में कुल हीरा निर्यात का लगभग चार प्रतिशत हिस्सा निर्यात किया गया। इसके अलावा आयात किए जाने वाले सभी कच्चे हीरों में लगभग दो प्रतिशत इस्राइल से आते हैं। रिपोर्ट के अनुसार पॉलिश करने वालों के पास बेल्जियम और संयुक्त अरब अमीरात जैसे विकल्प व्यापारिक केंद्र हैं, जिनके अंतिम खरीदार अमेरिका और यूरोप में हैं, जो उन्हें इस क्षेत्र पर पड़ने वाले किसी भी प्रतिकूल प्रभाव से निपटने में मदद करेंगे।