आज जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में हुए पुलवामा हमले (Pulwama Attack) की तीसरी बरसी है। ये वही दिन है जब साल 2019 को जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग से करीब 2500 जवानों को लेकर 78 बसों में सीआरपीएफ (CRPF) का काफिला गुजर रहा था। उस वक्त सड़क पर सामान्य आवाजाही थी। जैसे ही सीआरपीएफ का काफिला पुलवामा पहुंचा, तभी सड़क की दूसरे तरफ से आ रही एक कार ने सीआरपीएफ के काफिले के साथ चल रहे वाहन में टक्कर मार दी। जैसे ही सामने से आ रही एसयूवी जवानों के काफिले से टकराई, वैसे ही विस्फोट हो गया। इस घातक हमले में सीआरपीएफ के 40 भारतीय बहादुर जवान शहीद हो गए।

धमाका इतना बड़ा था कि कुछ देर तक सब कुछ धुआं-धुआं रहा। जैसे ही धुआं हटा, वहां का दृश्य इतना भयानक था कि इसे देख पूरे देश की आंखे नम हो गई। धमाके के बाद पुलवामा में जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर जवानों के शव इधर-उधर बिखरे पड़े थे। चारों तरफ खून ही खून और जवानों के शरीर के टुकड़े नजर आ रहे थे। जवान वहां अपने साथियों की तलाश में जुटे हुए थे। सेना ने बचाव कार्य शुरू किया और घायल जांबाजों को तुरंत ही अस्पताल भेजा। इस घटना के बाद पूरे देश में हाहाकार मच गया।
निशाने पर थे 2500 जवान
.jpg)
जब जवानों का काफिला जम्मू स्थित चेनानी रामा ट्रांसिट कैंप से तड़के निकला था, क्योंकि जवानों को सूरज डूबने से पहले श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम स्थित ट्रांसिट कैंप में पहुंचना था। यह सफर करीब 320 किलोमीटर लंबा था और सुबह 3:30 बजे से जवान सफर कर रहे थे। 78 बसों में 2500 जवानों को लेकर काफिला जम्मू से निकला था। लेकिन पुलवामा में ही जैश के आतंकियों ने जवानों को अपना निशाना बना लिया। जिसमें कई जवान शहीद हो गए। जवानों के इस काफिले में कई जवान ऐसे थे जो छुट्टी पूरी करके ड्यूटी पर वापस लौटे थे। वहीं बर्फबारी की वजह से जो जवान श्रीनगर जाने वाले थे वो भी इसी काफिले में सवार थे। जैश इन सभी 2500 जवानों को निशाना बनाना चाहता था।
जैश ने ली थी हमले की जिम्मेदारी

इस हमले की जानकारी सीआरपीएफ अधिकारी की ओर से दी गई। उन्होंने उस समय बताया था कि काफिले में करीब 70 बसें थीं जिसमे से एक बस हमले की चपेट में आ गई। चौंकाने वाली बात यह थी कि आतंकी संगठन जैश ने खुद टेक्स्ट मैसेज भेज कर हमले की जिम्मेदारी ली थी। जैश ने यह मैसेज कश्मीर की न्यूज एजेंसी जीएनएस को भेजा था।
जैश ने लिया था बदला

पुलवामा के अवंतिपोरा से जब सीआरपीएफ जवानों को लेकर बस जा रही थी ठीक उसी समय एक कार बस से टकराई थी। यह कार पहले से ही हाइवे पर तैनाच थी। जैसे ही बस यहां पर पहुंची कार ने उसे जोरदार टक्कर मारी और धमाका हुआ। जिस जगह पर हमला हुआ था वहां से श्रीनगर की दूरी बस करीब 33 किलोमीटर थी और काफिले को पहुंचने में बस कुछ ही घंटे का ही समय बचा था। धमाका इतना जोरदार था कि जवानों के शरीर के चिथड़े उड़ गए थे। इस हमले को जैश की ओर से लिया गया बदला माना जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक हमले से दो दिन पहले पुलवामा के ही रात्नीपोरा इलाके में हुए एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने जैश के एक आतंकी को ढेर मौत के घाट उतार दिया था। जिसका बदला उसने 40 भारतीय जवानों से लिया।