हिमाचल प्रदेश के बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह की ओर से दिए गए आश्वासन के बावजूद कैबिनेट बैठक में बागवानों के मुद्दों पर चर्चा तक नहीं होने से संयुक्त किसान मंच भड़क गया है। बागवानों के प्रति बरते जा रहे सौतेले व्यवहार से आहत किसान मंच ने सरकार के खिलाफ लड़ाई का एलान कर दिया है। मंच ने सेब सीजन के बाद भी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन जारी रखने की घोषणा की है। सोमवार को शिमला जिले के रोहड़ू में होने वाली बैठक में आंदोलन की आगामी रणनीति बनाई जाएगी। 13 अगस्त को उपमंडल स्तर पर धरने प्रदर्शनों के साथ शिमला में भी रोष प्रदर्शन का फैसला लिया गया है।
वहीं संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान और सह संयोजक संजय चौहान ने बताया कि बागवानी मंत्री ने शुक्रवार को ठियोग में हुए प्रदर्शन के बाद किसान मंच के साथ सरकार की बैठक बुलाने का आश्वासन दिया था। शनिवार को प्रदेश सरकार की कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा तक नहीं की गई। इससे साफ है कि आश्वासन के बावजूद आढ़ती, लदानी और अडानी के दबाव में सरकार किसान विरोधी रुख पर कायम है। कैबिनेट में एमआईएस के जरिये ए, बी और सी ग्रेड के सेब की खरीद के लिए रेट निर्धारित किए जाने चाहिए थे, जो नहीं हुए।
वहीं संजय चौहान ने बताया कि हिमाचल में एमआईएस पहले ही लागू है, सी ग्रेड का सेब 9.50 रुपये प्रति किलो खरीदा जा रहा है। ए और बी ग्रेड के सेब के रेट निर्धारित करने हैं। एक्ट में प्रावधान है कि फसल 10 फीसदी से ज्यादा होती है या फसल के दाम 10 फीसदी से ज्यादा गिरते हैं तो मंडी मध्यस्थता योजना के तहत खरीद होगी जिसका 50 फीसदी राज्य और 50 फीसदी केंद्र वहन करेगा। इस साल बीते साल के मुकाबले फसल भी अधिक है और सेब के दामों में भारी गिरावट भी हुई है। ऐसे में सरकार तुरंत ए, बी और सी ग्रेड सेब की खरीद के लिए क्रमश: 60, 44 और 24 रुपये प्रतिकिलो समर्थन मूल्य लागू करे।