हरतालिका तीज हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा व्रत माना जाता है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला और निराहार रहकर ये व्रत करती हैं। वहीं कुंवारी लड़कियों के लिए भी हरतालिका तीज का व्रत बड़ा खास माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि कुंवारी लड़कियां अगर इस व्रत को करें तो उन्हें भगवान शिव जैसा पति मिलता है। पूरा दिन भूखे-प्यासे रहकर महिलाएं रतजगा भी करती हैं। तो आइए जानते हैं इस पावन व्रत हरतालिका तीज के कुछ विशेष नियम और पूजन विधि के बारे में।
यह व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है। यानी कि एक पूरा दिन और अगली सुबह सूर्योदय तक महिलाएं जल ग्रहण तक नहीं कर सकतीं। इस व्रत को कुंवारी लड़कियां और शादीशुदा महिलाएं दोनों ही कर सकती हैं।
हरतालिका तीज पूजन विधि
हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है। यानि कि यह दिन और रात के मिलन का समय होता है। हरतालिका तीज में पूजन के लिए काली मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा बनाई जाती हैं। उसके बाद उन्हें सजाया जाता है। तथा एक चौकी रखकर उसपर रंगोली बनाई जाती है। इस रंगोली के ऊपर केले के पत्ते रखकर इस पर शिव-पार्वती की प्रतिमा रखी जाती है। इसके बाद कलश की हल्दी और कुमकुम से पूजा की जाती है।
बाद में भगवान शिव और गौरी की पूजा करके उनका संपूर्ण श्रृंगार किया जाता है। फिर व्रती महिलाएं सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को चढ़ाती हैं और भगवान शिव को धोती या फिर तौलिया चढ़ाया जाता है। इसके बाद हरतालिका तीज की कथा पढ़ी जाती है और भगवान शिव-पार्वती और गणेश की आरती की जाती है। पूजा के बाद भगवान की परिक्रमा भी की जाती है।