Hanuman Janmotsav 2023: हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हनुमान जन्मोत्सव का पर्व मनाया जाता है। देशभर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ इस दिन को मनाया जाता है। हनुमानजी भगवान शिव के 11वें रुद्र अवतार हैं। उनका जन्म त्रेतायुग के अंतिम चरण में श्री राम के जन्म से पहले हुआ था। कहा जाता है कि भगवान शिव ने विष्णु भगवान के राम रुप की सेवा के लिए बजरंगबली के रुप में जन्म लिया था। बजरंगबली को कलयुग के देवता के रुप में पूजा जाता है।
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पुराणों की मानें तो केवल बजरंगबली ही ऐसे देव हैं, जो अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों से सम्पन्न हैं। उन्हें यह सिद्धियां और निधियां देने का वरदान माता जानकी ने दिया था। यह अष्ट सिद्धियां चमत्कारिक हैं। यही कारण है कि रामायण में माता सीता की खोज के दौरान बजरंगबली ने इन सिद्धियों का ही उपयोग कर असंभव से लगने वाले काम आसानी से सम्पन किये थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी की उपासना करने से साधक के सभी दुःख दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। हनुमान जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर हनुमान जी की पूजा करने से ग्रह दोष और गृह शांति का भी आशीर्वाद मिलता है। चलिए इस हनुमान जयंती पर इन चौपाई के अर्थों को समझते है।
आठ सिद्धयां

अणिमा- इस सिद्धि के बल पर हनुमानजी कभी भी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं।
महिमा- इस सिद्धि के बल पर हनुमान ने कई बार विशाल रूप धारण किया है।
गरिमा- इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी स्वयं का भार किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं।
लघिमा- इस सिद्धि से हनुमानजी स्वयं का भार बिल्कुल हल्का कर सकते हैं और पलभर में वे कहीं भी आ-जा सकते हैं।
प्राप्ति- इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी किसी भी वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर लेते हैं। पशु-पक्षियों की भाषा को समझ लेते हैं, आने वाले समय को देख सकते हैं।
प्राकाम्य- इसी सिद्धि की मदद से हनुमानजी पृथ्वी की गहराइयों में पाताल तक जा सकते हैं, आकाश में उड़ सकते हैं और मनचाहे समय तक पानी में भी जीवित रह सकते हैं।
ईशित्व- इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी को दैवीय शक्तियां प्राप्त हुई हैं।
वशित्व- इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमानजी जितेंद्रिय हैं और मन पर नियंत्रण रखते हैं।
नौ निधियां

पद्म निधि- इस निधि का महत्त्व है की मनुष्य सात्विक होता है तथा स्वर्ण चांदी आदि का संग्रह करके दान करता है।
महापद्म निधि- यह निधि महाप निधि से लक्षित व्यक्ति अपने संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक जनों में करता है।
नील निधि- निल निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेज से संयुक्त होता है। उसकी संपति तीन पीढ़ी तक रहती है।
मुकुंद निधि- मुकुन्द निधि से लक्षित मनुष्य रजोगुण संपन्न होता है वह राज्य संग्रह में लगा रहता है।
नन्द निधि- इस निधि से युक्त व्यक्ति राजस और तामस गुणों वाला होता है वही कुल का आधार होता है।
मकर निधि- मकर निधि संपन्न पुरुष अस्त्रों का संग्रह करने वाला होता है।
कच्छप निधि- कच्छप निधि लक्षित व्यक्ति तामस गुण वाला होता है वह अपनी संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है।
शंख निधि- शंख निधि एक पीढ़ी के लिए होती है।
खर्व निधि- खर्व निधिवाले व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रित फल दिखाई देते हैं।
इस चौपाई का अर्थ है 'बजरंगबली अपने भक्तों को आठ प्रकार की सिद्धयां तथा नौ प्रकार की निधियां प्रदान कर सकते हैं।