Nirjala Ekadashi 2023: हर महीने में दो एकादशी आती है। इस तरह से पूरे साल में 24 एकादशी आती है। लेकिन 24 एकादशियों में से सबसे श्रेष्ठ और अक्षय फल प्रदान करने वाली एकादशी ज्येष्ठ महीने की होती है। ज्येष्ठ महीने की एकादशी को निर्जला या भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। निर्जला एकादशी पर व्रत करने से विशेष लाभ मिलता हैं। इसलिए हर कोई इस एकादशी व्रत को करता है लेकिन यह व्रत इतना मुश्किल है कि छोटी-छोटी बातों का खास ध्यान रखना होता है। नहीं तो श्री हरि रुठ जाते हैं। चलिए जानते है किन बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है ...
निर्जला एकादशी के दिन रखें इन बातों का ध्यान
- निर्जला एकादशी के दिन पूजा के दौरान चावल का इस्तेमाल नहीं किया जाता। आप चावल की जगह तिल का उपयोग कर सकते हैं। शास्त्रों में एकादशी के दिन चावल का सेवन करने के लिए मना किया गया है।
- इस दिन भगवान विष्णु को भोग तुलसी दल के साथ लगाएं। क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है।
- इस दिन किसी को अपशब्द न कहें। इसके साथ ही इस दिन अपने मन को शांत रखें।
- इस दिन व्यक्ति को मांस, मदिरा जैसी चीजों से खासतौर पर दूरी बनानी चाहिए। इस दिन आपको सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
- निर्जला एकादशी वाले दिन दांतों को दांतुन से साफ नहीं करना चाहिए। कहा जाता इस दिन पेड़ की टहनियों को तोड़ने से भगवान विष्णु नाराज हो सकते हैं।
- निर्जला एकादशी के दिन आलस्य नहीं करना चाहिए।
- इस दिन व्रत रखने वाले जातक रात के समय बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए। क्योंकि मान्यता है कि ऐसा करने से व्रत का फल नहीं मिलता है।
निर्जला एकादशी यानि बिना पानी पीये व्रत करने का विधान है। यह व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। इस दिन व्रत रखने वाले जातक सभी सुखों की प्राप्ति की ओर जाते हैं। चाहे वह शारीरिक सुख हो, पारिवारिक सुख हो, आर्थिक सुख हो, या फिर स्वर्ग जाने का सुख हो। इस व्रत के करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं, हमारे पापों का नाश होता हैं। इसलिए छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है।