Kabir Jayanti 2025: कबीर जयंती संत कबीर की जयंती है और हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाई जाती है। संत कबीरदास 15वीं शताब्दी के भारत के एक प्रसिद्ध कवि, संत और समाज सुधारक थे। उन्हें भक्ति आंदोलन का अग्रणी संत माना जाता है। संत कबीरदास की रचनाओं ने भक्ति आंदोलन को बहुत प्रभावित किया है।
कबीर पंथ, जो एक धार्मिक समुदाय है, उन्हें अपने संस्थापक के रूप में मान्यता देता है और इसके सदस्यों को कबीर पंथी के रूप में जाना जाता है, जो संत कबीरदास के अनुयायी हैं। द्रिक पंचांग के अनुसार, उनकी रचनाओं में बीजक, साखी ग्रंथ, कबीर ग्रंथावली और अनुराग सागर शामिल हैं।
कबीर की रचनाओं का बड़ा हिस्सा पांचवें सिख गुरु, गुरु अर्जन देव द्वारा संकलित किया गया था और सिख धर्मग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल किया गया था। कबीर की रचनाओं की पहचान उनके दो-पंक्ति के दोहे हैं, जिन्हें कबीर के दोहे के नाम से जाना जाता है। कबीर जाति, धर्म और लिंग के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव के भी खिलाफ थे। उन्होंने निराकार ईश्वर की भक्ति की वकालत की।
कबीर जयंती 2025 तिथि और समय
पूर्णिमा तिथि 10 जून 2025 को सुबह 11:35 बजे शुरू होगी और 11 जून 2025 को दोपहर 01:13 बजे समाप्त होगी। इसलिए, कबीरदास जयंती बुधवार, 11 जून 2025 को मनाई जाएगी। द्रिक पंचांग के अनुसार, यह संत कबीरदास की लगभग 648वीं जयंती है।
कबीर जयंती का इतिहास और महत्व
कबीरदास जयंती 15वीं शताब्दी के रहस्यवादी कवि और संत कबीर दास के जन्म की याद में मनाई जाती है। कबीर का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था और वे एक आध्यात्मिक सुधारक थे जिन्होंने रूढ़िवादी धार्मिक प्रथाओं को चुनौती दी थी। वे करुणा के भी समर्थक थे और जाति और पंथ से परे एकता में विश्वास करते थे। उनके छंद हिंदू और इस्लामी दोनों परंपराओं से प्रेरित थे। कबीरदास जयंती पर, अनुयायी प्रार्थना, उनकी कविता के पाठ और सामुदायिक समारोहों के माध्यम से उनकी विरासत का सम्मान करते हैं। इस उत्सव का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है।