Bhojan Me Dosh: भोजन को लेकर शास्त्रों में कई नियम बताए गए है। और भोजन का सीधा असर मन और साधना पर पड़ता है। इसलिए, ये बहुत आवश्यक है कि भोजन का चुनाव करते समय, उसे बनाते समय और उसे ग्रहण करते समय कई सावधानियों का ध्यान रखें क्योंकि भोजन को भी दोष लगता है और अगर आप उस दौरान नाम जप या किसी प्रकार की भक्ति करते हैं, तो यह आपकी भक्ति और साधना को प्रभावित करता है।
भोजन मन और आत्मा की शुद्धता से भी जोड़ा गया
शास्त्रों में कहा गया है कि जैसा अन्न, वैसा मन क्योंकि भोजन को केवल शरीर के पोषण से ही नहीं, बल्कि मन और आत्मा की शुद्धता से भी जोड़ा गया है। यही कारण है कि नाम जप, साधना, भक्ति और भगवान के सच्चे अनुभव के लिए शुद्ध भोजन (सात्विक अन्न) को अनिवार्य माना गया है। प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद महाराज का कहना है कि भोजन का केवल सात्विक होना ही जरूरी नहीं है।
नियमों का भी पालन आवश्यक
अगर आप नाम जप करते हैं, तो ये आवश्यक है कि भोजन से जुड़े कई अन्य नियमों का भी पालन आवश्यक है क्योंकि भोजन को भी दोष लगता है। प्रेमानंद महाराज जी के अनुसार, यदि हम चाहते हैं कि हमारा नाम जप सफल हो, मन भगवान में लगे और आत्मा शुद्ध हो, तो हमें भोजन को दोषरहित बनाना ही होगा।
इस प्रकार करें भोजन -
- नाम जप कर करें भोजन
- खाने से पहले भगवान को करें समर्पित
- भोग लगाकर ही परिवार में परोसें भोजन
- पहली रोटी गाय को भी खिलाएं
नोट - ये आलेख सामान्य जानकारी के लिए है। जनता टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता।