Asur 2 Review : Asur Season 1 की सफलता के बाद निर्माणकर्ताओं ने अब इस सीरीज का पार्ट 2 रिलीज कर दिया है। दरअसल, ये पूरी कहानी दो लोगों पर आधारित है पहले जो दूसरों को तकलीफ देते हुए मनमानी करने वाली विचारधारा का सहारा लेकर इस सदी में आगे बढ़ने वाले कुछ लोग और उन्हें रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश करने वाले देश के सुरक्षाकर्मी। यह कहानी जियो सिनेमा पर रिलीज हो चुकी है तो आइए जानते हैं इसके रिव्यू...
अगर कोई जानना चाह की ये सीरीज क्यों देखनी चाहिए तो ये कना गलत नहीं होगा कि एक्टर्स के शानदार एक्टिंग के लिए और एक अच्छी सस्पेंस से भरपूर कहानी के लिए इस सीरीज को देखा जा सकता है। असुर एक कली और कल्कि के नजरिए से जिस तरह से ये कहानी पेश की गई है, उस अंदाज के लिए इसे देखना एक अलग अनुभव होगा। क्या कली की पराजय मुमकिन है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए ये सीरीज जरूर देखनी चाहिए।
निर्देशन और स्क्रिप्ट
सीजन 2 की शुरुआत हम इस उम्मीद से करते हैं कि इस सीजन में रसूल का पर्दाफाश होगा और असली असुर पकड़ा जाएगा लेकिन ये कहानी शुरुआत के कुछ एपिसोड में राइटर ने एक ऐसा झटका दिया है कि हम फिर एक बार इस कहानी में दंग रह जाते हैं। फिर एक बार ये सस्पेंस थ्रिलर आखिर तक हमें अपने से कनेक्ट करने में कामयाब हो गया है। एक साथ कई जगह पर चलनी वाली घटनाएं और उनका तालमेल कन्फ्यूजन कर सकता था लेकिन ओमी ने ये चैलेंज ईमानदारी से पूरा किया है।
हालांकि असुर को मात देने के तरीके और ज्यादा क्रिएटिव हो सकते थे, जब रसूल के बारें में सबूतों के साथ निखिल को जानकारी मिलने के बावजूद उसका उन्हें नजरअंदाज करना ये दिखाता है कि कहानी के ट्विस्ट के लिए ये सीन इस तरह से लिखा गया है। ऐसी एक दो सीन पर और बारीकी से काम किया जा सकता था। हालांकि सस्पेंस के साथ माइथोलॉजी के जिस ट्विस्ट की दर्शकों को उम्मीद थी, उस उम्मीद को असुर की टीम ने पूरा किया है।
दिल जीतने वाली एक्टिंग
असुर 2 में शामिल सभी कलाकार दमदार एक्टिंग से फिर एक बार अपना दिल जीत लेते हैं। हालांकि इनके किरदार इस नए सीजन में बिलकुल बदल चुके हैं। एक जिंदगी से हारा हुआ और फिर भी देश के दुश्मन के खिलाफ लड़ने वाला पिता बरुन सोबती ने शानदार तरीके से पेश किया है। धनंजय राजपूत के कई लेयर्स अरशद वारसी हमें इस इस सीरीज में दिखाते हैं, उनका ये अंदाज फिर एक बार प्रभावित करता है। रिद्धि डोगरा ने फिर एक बार नुसरत के किरदार से दिल जीत लिया है. असुर के बाद उम्मीद हैं कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री भी अमेय वाघ को सीरियसली ले. अथवा विश्वकर्मा और विशेष बंसल ने अपने किरदार को पूरा न्याय दिया है. बरखा बिष्ट की एंट्री इस सीरीज में नया ट्विस्ट लेकर आती है.
सिनेमेटोग्राफी और म्यूजिक कमाल
इस फिल्म की कहानी को ऑडियंस तक पहुंचाने में टेक्निकल टीम का भी काफी बड़ा योगदान है। दिल्ली से लेकर धर्मशाला तक घूमती हुई इस कहानी में आपको कमाल की सिनेमेटोग्राफी नजर आएगी। इस सीरीज में इस्तेमाल किया गया बैकग्राउंड म्यूजिक सस्पेंस में जान डाल देता है और कहानी को और असरदार बना देता है.