संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान मई में संसद तक पैदल मार्च करेंगे। एसकेएम ने बुधवार को अगले दो महीनों के लिए अपनी योजनाओं की घोषणा करते हुए कहा, ‘मोर्चा की मंगलवार को बैठक हुई थी जिसमें फैसला लिया गया कि किसान संसद तक मार्च करेंगे। मार्च की तिथि अब तक तय नहीं हुई है।’
वहीं, किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, ‘इसमें न केवल किसानों को, बल्कि बल्कि महिलाओं, बेरोजगार व्यक्तियों और श्रमिकों को भी शामिल किया जाएगा जो आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।’ संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए चढूनी ने कहा, 'मार्च ‘शांतिपूर्ण ढंग’ से निकाला जायेगा और इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि 26 जनवरी को जो घटना हुई थी, उसकी पुनरावृत्ति नहीं हो।'
उन्होंने कहा, ‘प्रदर्शनकारियों को स्पष्ट कर दिया जाएगा कि एसकेएम सभी प्रकार की हिंसा की निंदा करता है। इसलिए प्रदर्शनकारियों को पता होना चाहिए कि अगर उनके द्वारा संपत्ति को कोई नुकसान हुआ है, तो उन्हें जुर्माना देना होगा।’ इस दौरान किसान नेताओं ने संसद मार्च में पुलिस कार्रवाई होने पर प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए एक समिति बनाने संबंधी अपनी योजना भी साझा की।
इसके अलावा किसान नेताओं ने 10 अप्रैल को 24 घंटे के लिए कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे को अवरुद्ध करने की भी घोषणा की। इस दौरान एक अन्य किसान नेता ने कहा, ‘हम केएमपी एक्सप्रेसवे को 10 अप्रैल को 24 घंटे के लिए अवरुद्ध करेंगे, जो कि 10 अप्रैल को पूर्वान्ह्र 11 बजे से अगले दिन पूर्वान्ह्र 11 बजे तक होगा।’ उन्होंने कहा, ‘हम ऐसा इसलिए करेंगे क्योंकि सरकार हमारी नहीं सुन रही है। यह सो रही है। इस सरकार को जगाना है।’
वहीं, आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई है, उनके सम्मान में छह मई को एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसके अलावा आंबेडकर जयंती और श्रमिक दिवस मनाने के लिए अलग-अलग कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।