धार्मिक मान्यता के अनुसार बलराम जी का मुख्य शस्त्र हल और मूसल होने के कारण इन्हें हलधर कहा जाता है और इन्हीं के नाम पर इस पर्व को हलषष्ठी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन बिना हल चले धरती से पैदा होने वाले अन्न खाने का विशेष महत्व माना जाता है और इस दिन गाय के दूध व दही का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है। आपको बता दें कि इस व्रत की पूजा करने से पहले प्रात:काल स्नान आदि करके निवृत्त हो जाएं और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। वहीं गाय के गोबर से पृथ्वी को लीपकर एक छोटा सा तालाब बना लें। इसके बाद तालाब में झरबेरी, तास तथा पतास की एक-एक शाखा बांधकर बनाई गई हलछठ में गाड़ दें। फिर इनकी पूजा करें।
बलराम जयंती 2021
हलषष्ठी व्रत - 28 अगस्त 2021, दिन शनिवार
षष्ठी तिथि प्रारंभ - 27 अगस्त 2021 को शाम 06:50 बजे
षष्ठी तिथि समाप्त - 28 अगस्त 2021 को रात्रि 08:55 बजे
मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण जी के भाई बलराम जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में हलषष्ठी व्रत मनाने की परंपरा है। यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है। क्योंकि बलराम जी का प्रधान शस्त्र हल और मूसल है। इसलिए उन्हें हलधर भी कहा जाता है। और उन्हीं के नाम पर इस पावन पर्व का नाम हल षष्ठी पड़ा है। हल षष्ठी के दिन माताओं को महुआ की दातुन और महुआ खाने का विधान है।
इस व्रत में हल से जोते हुए बागों या खेतों के फल और अन्न खाना वर्जित माना गया है। इस दिन दूध, घी, सूखे मेवे, लाल चावल आदि का सेवन किया जाता है। इस व्रत को नवविवाहित स्त्रियां भी संतान की प्राप्ति के लिए करती हैं। और माता संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए इस व्रत को करती हैं।