केरल हाई कोर्ट में एक GAY कपल ने याचिका दायर कर स्पेशल मैरिज ऐक्ट 1954 को चुनौती दी है, जिसके मुताबिक सिर्फ एक महिला और पुरुष के बीच ही शादी का प्रावधान है। इस GAY कपल को अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन कराने में समस्या आ रही है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि यह ऐक्ट भी समाज की तरह ही भेदभावपूर्ण है और समान लिंग वाले जोड़ों के बीच शादी की अनुमति नहीं देता है।
याचिका में कहा गया है, याचिकाकर्ताओं ने समाज द्वारा जाति, धर्म, लिंग और पसंद के आधार पर भेदभाव झेलने के बाद देश के कानून और संविधान में भरोसा जताया है। हालांकि हैरानी भरा है कि स्पेशल मैरिज ऐक्ट 1954 भी उतना ही भेदभावपूर्ण है, जो सिर्फ विपरीत लिंग के जोड़ों के बीच शादी की अनुमति देता है।
बता दें कि निकेश और सोनू ने पिछले साल सितंबर महीने में शादी की थी। दोनों ने परंपरागत तरीके से शादी करनी चाही, मगर जब कोई पुजारी या धार्मिक संगठन रीति-रिवाजों के लिए राजी नहीं हुआ तो उन्होंने एक निजी समारोह में शादी कर ली। इस कपल की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अनु सिवारमन ने राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने GAY कपल के इस दावे पर दोनों सरकारों की राय पूछी है कि यह ऐक्ट भेदभावपूर्ण है और असंवैधानिक है।
स्पेशल मैरिज ऐक्ट की धारा 4 के मुताबिक, शादी को एक महिला और पुरुष के बीच संबंध बताया गया है। निकेश और सोनू के मुताबिक, समान लिंग वाले जोड़े को शादी करने या उसे रजिस्टर करने से रोकना उस अधिकार का उल्लंघन है जो उन्हें दो साल पहले मिला था। दोनों ने सुप्रीम कोर्ट के साल 2018 में दिए ऐतिहासिक फैसले का हवाला दिया है।