Bihar Election 2025: बिहार में पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने नीतीश की रोशनी मद्धिम कर दी थी। सीटें बढ़ाने की चाहत में इस बार भी चिराग फड़फड़ा रहे हैं। भाजपा के मौजूदा ऑफर से चिराग कनेक्ट नहीं हो पा रहे। उनका फोन भाजपा के नेताओं की पहुंच से दूर यानी आउट आफ रीच हो गया है। मतलब मोबाइल ऑफ है और उन तक पहुंचने की बाकी सारी लाइनें व्यस्त। भाजपा के बिहार चुनाव प्रभारी बनाए गए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े से चिराग संपर्क में नहीं आ पा रहे थे। ऐसे में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह इस सियासी सीन में आए। अपनी शैली में उन्होंने संदेश पहुंचा दिया है तो भभक रहे चिराग की लौ कुछ शांत हुई।
चिराग की पार्टी ने गठबंधन से बाहर रहकर नीतीश कुमार का खेल बिगाड़ दिया था
हालांकि, लोजपा के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता धीरेंद्र मुन्ना ने कहा कि अभी सीटों के बंटवारे पर कोई बातचीत नहीं हुई है। इस सवाल पर कि चिराग पासवान का फोन नहीं लगने की बात सामने आ रही है तो मुन्ना का जवाब था, फोन आउट आफ रीच भले हो, लेकिन मेरे नेता रीच में हैं। वैसे भी चिराग पहले ही कह चुके हैं कि उनकी पार्टी सम्मानजनक हिस्सेदारी लेगी। चिराग की मांग करीब 40 सीटों की है। पासवान पांच प्रमुख सीटों गोविंदगंज, ब्रह्मपुर, अतरी, महुआ और सिमरी बख्तियारपुर को लेकर अड़े हैं। इनमें से तीन सीटों पर जदयू भी दावा छोड़ने को तैयार नहीं है। इसी दबाव के तहत पार्टी ने यह भी एलान किया कि वह 243 सीटों पर तैयारी कर रही है। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग की पार्टी ने गठबंधन से बाहर रहकर नीतीश कुमार का खेल बिगाड़ दिया था।
शाह ने दिल्ली में बिहार कोर कमेटी की बैठक में स्पष्ट
शाह ने दिल्ली में बिहार कोर कमेटी की बैठक में स्पष्ट किया कि 2020 जैसी गलती दोहराई नहीं जानी चाहिए। तब लोजपा ने अलग राह चुनकर कई राजद उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ा था। इस बार भाजपा नेतृत्व कोशिश कर रहा है कि चिराग को मनाकर राजग की एकता बनाए रखी जाए क्योंकि दलित-युवा वोट बैंक में उनकी पकड़ को पार्टी नजरअंदाज नहीं कर सकती। चिराग पासवान जितनी सीटों के लिए मुंह खोल रहे हैं, उसे पार्टी अतार्किक मान रही है। भाजपा को भरोसा है कि वह स्थितियां दुरुस्त कर लेगी।चिराग की राजनीति अब सिर्फ सीटों तक सीमित नहीं है।