1Barsana Lathmar Holi 2023: बरसाने की लट्ठमार होली जगत प्रसिद्ध है। देश-विदेश से लोग यह होली देखने के लिए बरसाना पहुंचते हैं। लठमार होली की परंपरा लगभग 5000 साल पहले शुरु हुई थी।
2इसका आयोजन हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को किया जाता है। इसका निमंत्रण एक दिन पहले यानि फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को बरसाना से नंदगांव भेजा जाता है।
3लट्ठमार होली से पहले हुरियारे प्रिया कुंड पहुंचते है। यहां फाग गीत गाए जाते हैं, फिर ब्रह्मांचल पर्वत पर बने राधा रानी के दर्शन करते हैं और होली खेलने की अनुमति लेते हैं।
4फिर सभी हुरियारे रंगीली गली पहुंचते हैं और यहीं लट्ठमार होली खेली जाती है। हर साल नंदगांव के हुरयारे बरसाना में आते हैं और महिलाएं यानी कि हुरियारिनें उन पर रंग और गुलाल डालती हैं और उन्हें मजाकिया अंदाज में डंडे से मारती हैं। पुरुष सिर पर ढाल लिए लट्ठ से अपना बचाब करते है। इस दौरान कई प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है।
5पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण अपने ग्वाल मित्रों के साथ राधाजी से मिलने के लिए बरसाना गए थे। वहां पर वे और उनके सखा गोपियों को चिढ़ाने लगे। इस पर गोपियां उनके पीछे डंडा लेकर दौड़ पड़ीं। तब से ही यह लट्ठमार होली खेलने की परंपरा चली आ रही है।