Himachal Pradesh:हिमाचल प्रदेश की जनता अभी पूरी तरह से बाढ़ की तबाही से उफरी भी नहीं थी। इस बीच हिमाचल की सुक्खू सरकार से प्रदेश की जनता को बड़ा झटका लगा है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश में डीजल पर प्रति लीटर तीन रुपये की बढ़ोतरी कर दी गई है।हिमाचल प्रदेश के राज्य एवं आबकारी विभाग के प्रधान सचिव भरत खेड़ा की ओर से जारी आदेशों के मुताबिक, अब डीजल पर प्रति लीटर 7 रुपये 40 पैसे की जगह 10 रुपये 40 पैसे वैट लगेगा।
सरकार ने नए आदेशों में 13.9 फीसदी या 10 रुपये 40 पैसे प्रति लीटर वैट वसूलने के आदेश जारी कर दिए हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सत्ता में आते ही 7 जनवरी, 2023 को डीजल पर तीन रुपये वैट बढ़ाया था। सरकार की ओर से इस बढ़ोतरी के बाद हिमाचल प्रदेश में डीजल के दाम अब करीब 90 प्रति लीटर तक पहुंच जाएंगे। इससे बड़े माल वाहनों की ढुलाई का खर्चा बढ़ेगा, जिसका सीधा असर आम जनता की जेब पर होगा।
वहीं अब इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने डीजल की कीमतें बढ़ने के बाद मौजूदा सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि 'वाहन ईंधन के बढ़े दाम का असर हर चीज पर होगा। इससे प्रदेश में और महंगाई बढ़ेगी। यह समय आपदाग्रस्त प्रदेश को राहत देने का है, आर्थिक बोझ डालने का नहीं, इसलिए कांग्रेस सरकार को आपदा की इस घड़ी में इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए'।
इससे पहले क्यों बढ़ाए गए थे तेल के दाम
बता दें कि साल की शुरुआत में 7 जनवरी को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने डीजल पर तीन रुपये वैट बढ़ाते हुए कहा था कि पूर्व भाजपा सरकार हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का भारी भरकम बोझ छोड़ गई है। भाजपा ने चुनाव में फायदा लेने के लिए डीजल पर तीन रुपए वैट घटाया था। ऐसे में सरकार ने प्रदेश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया है। सीएम सुक्खू लगातार प्रदेश की जनता को कड़े फैसलों के लिए तैयार रहने के लिए कहते आए हैं, लेकिन आपदा के बीच डीजल के दामों में बढ़ोतरी आम जनता की जेब पर बोझ डालने वाली है।
शुक्रवार दोपहर ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश की जनता से आपदा राहत कोष- 2023 में बढ़-चढ़कर सहयोग करने की अपील की थी और देर शाम सरकार ने नए आदेश जारी कर दिए, जिसमें प्रति लीटर तीन रुपये वैट बढ़ा दिया गया।
बता दें कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश में करीब आठ हजार करोड़ रुपये के नुकसान का आंकलन किया है। सीएम सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार केंद्र से दो हजार करोड रुपए की अंतरिम राहत की मांग कर रही है।अब तक हिमाचल प्रदेश सरकार अपने कोष से 1 हजार 100 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। इस बीच डीजल पर वैट बढ़ाना सरकार के कोष की भरपाई करने के लिए लिए फैसले के तौर पर देखा जा रहा है।