Nitish Kumar Hijab Controversy: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। उन्होंने एक पब्लिक इवेंट में एक महिला के चेहरे से घूंघट हटा दिया। जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक और देवबंदी मौलाना कारी इशाक गोरा ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने इस पूरी घटना को शर्मनाक और निंदनीय बताया। मौलाना ने कहा कि यह सिर्फ एक महिला की बात नहीं है, बल्कि देश की सभी महिलाओं के सम्मान और प्राइवेसी से जुड़ा एक गंभीर मामला है।
मौलाना कारी इशाक गोरा ने कहा कि किसी महिला की मर्ज़ी के बिना उसके पहनावे में दखल देना पूरी तरह गलत है। एक महिला क्या पहनती है, यह उसका निजी और संवैधानिक अधिकार है। चाहे वह घूंघट हो, बुर्का हो, साड़ी हो, या कोई और पहनावा, किसी को भी ज़बरदस्ती किसी महिला की प्राइवेसी का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि जब सत्ता में बैठे कोई वरिष्ठ नेता ऐसा काम करते हैं, तो मामला और भी गंभीर हो जाता है।
महिला विरोधी मानसिकता का आरोप
मौलाना गोरा ने इस घटना को महिला विरोधी मानसिकता का साफ उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से समाज में गलत संदेश जाता है और महिलाओं में असुरक्षा की भावना पैदा होती है।
उन्होंने सवाल उठाया कि अगर एक मुख्यमंत्री पब्लिक प्लेटफॉर्म पर एक महिला की गरिमा का उल्लंघन कर सकता है, तो आम महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की गारंटी कैसे दी जा सकती है।
मौलाना ने कहा कि इस्लाम में महिलाओं के सम्मान और इज्ज़त को सबसे ऊपर रखा गया है। इसी तरह, भारत का संविधान भी हर नागरिक, खासकर महिलाओं को गरिमा और आज़ादी के साथ जीने का अधिकार देता है। इसलिए, यह घटना न सिर्फ नैतिक रूप से गलत है, बल्कि संविधान की भावना के भी खिलाफ है।
प्रधानमंत्री के दखल की मांग
मौलाना कारी इशाक गोरा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में दखल देने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इस घटना का संज्ञान लेना चाहिए और देश को एक साफ संदेश देना चाहिए कि महिलाओं के अपमान को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनका मानना है कि शीर्ष नेतृत्व की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया से समाज में सही उदाहरण पेश होगा।
नीतीश कुमार को माफी मांगनी चाहिए - मौलाना
मौलाना ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सिर्फ सफाई देने के बजाय, संबंधित महिला और देश की सभी महिलाओं से खुले तौर पर माफी मांगनी चाहिए। यह माफी किसी दबाव में नहीं, बल्कि नैतिक ज़िम्मेदारी के तहत दी जानी चाहिए।