उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मऊ (Mau) में जिला एवं सत्र न्यायाधीश रामेश्वर (Sessions Judge Rameshwar) ने अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/ एमपी एमएलए कोर्ट (MP MLA Court) श्वेता चौधरी के आदेश के खिलाफ दाखिल निगरानी को स्वीकार कर लिया है। न्यायाधीश ने इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) को नोटिस जारी किया है। सुनवाई के लिए 26 अप्रैल की तिथि को तय किया गया है।
बता दें कि यह परिवाद (complaint) दोहरीघाट निवासी नवल किशोर शर्मा ने दाखिल किया था। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आरोपी बनाते हुए विचारण के लिए तलब करने का अनुरोध किया गया था। उनका कहना है कि सीएम योगी आदित्यनाथ प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति एवं गोरक्षपीठ के महंत हैं। उनका वक्तव्य देश, प्रदेश तथा प्रत्येक धर्म, जाति वर्ग एवं समुदाय के लिए बहुत महत्व रखता है।
आरोप है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान (Rajasthan) में 28 नवंबर 2018 को अलवर (Alwar) जिले के मालाखेड़ा में सार्वजनिक सभा में कहा था कि 'बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं, जो स्वयं बनवासी हैं, गिरवासी हैं, दलित हैं, वंचित हैं।' उनके इसी भाषण से परिवादी की धार्मिक भावनाओं को बहुत ठेस लगी है।
उन्होंने बजरंगबली में आस्था रखने वाले समुदायों की भावना को आहत किया है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/ एमपी एमएलए कोर्ट श्वेता चौधरी ने सुनवाई के बाद 11 मार्च को दाखिल परिवाद को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि यह घटनास्थल राजस्थान में है। जनपद मऊ में इस न्यायालय को यह परिवाद सुनने का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है। इस आदेश के खिलाफ जाकर नवल किशोर शर्मा ने मंगलवार को जिला जज की कोर्ट में निगरानी दाखिल की। जिसकी सुनवाई 26 अप्रैल को होनी है।