Karwa Chauth 2022: हिन्दू धर्म में विवाहित जोड़ो के लिए करवाचौथ का व्रत विशेष महत्व रखता है। ये व्रत पति-पत्नी के बीच प्यार, स्नेह और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। रामचरितमानस के लंकाकांड में इस व्रत के एक पक्ष के अनुसार जो पति-पत्नी किसी कारणवश एक दूसरे से बिछड़ जाते हैं। उन्हें चन्द्रमा की किरणें अधिक कष्ट पहुंचाती हैं। इसी कारण से महिलाएं करवा चौथ के दिन चन्द्रमा की पूजा करके ये कामना करती हैं कि किसी भी वजह से उन्हें अपने प्रियतम का वियोग न सहना पड़े। इस दिन सुहागन महिलाएं देवी पार्वती के चौथ माता स्वरूप, भगवान शिव, श्री गणेशजी और कार्तिकेय की पूजा करती हैं।
पूजा विधि (Ritual)
करवा चौथ (Karwa Chauth) के दिन सुहागिन स्त्रियां सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लेती हैं। साथ ही सास द्वारा दी गई सरगी का सेवन भी करती हैं। सरगी में मिठाई, फल, सैंवई, पूड़ी और साज-श्रृंगार आदि का सामान दिया जाता है। इन सबके बाद करवा चौथ के निर्जल व्रत की शुरुआत होती है। जो महिलांए निर्जल व्रत नहीं रख सकती वह व्रत के बीच में फल, दूध, दही, जूस, नारियल पानी ले सकती हैं। व्रत के दिन शाम को लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। उसके बाद इस चौकी पर भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय और गणेश जी की प्रतिमा या शिव परिवार की तस्वीर स्थापित करें। फिर एक लोटे में जल भरकर उसके ऊपर श्रीफल रखें और कलावा बांध दें। इसके बाद धूप, दीप, अक्षत व पुष्प चढाएं और भगवान का पूजन करें। पूजा के समय हाथ में गेहूं के दाने लेकर चौथमाता की कथा को कहें या सुनें। इन सबके बाद रात्रि में चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रदेव को अर्ध्य दे और बड़ों का आशीर्वाद लें।
करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त (Karva Chauth Date and Auspicious Time)
तिथि (Date) : चतुर्थी
पक्ष (Paksha) : कृष्ण पक्ष
माह (Month) : कार्तिक
दिन (Day) : गुरुवार
पूजा मुहूर्त (Auspicious Beginning) : शाम 05 बजकर 54 मिनट से 07 बजकर 03 मिनट तक
अवधि (Time) : 1 घंटा 09 मिनट
चंद्रोदय (Moon Rise) : शाम 08 बजकर 10 मिनट पर