आखिरकार हरियाणा की मनोहर सरकार और अफसरों की सूझबूझ के साथ में लिए गए फैसलों के बाद में किसानों के आंदोलन की समाप्ति का वक्त आ गया है। राज्य सरकार के पुलिस व प्रशासनिक अफसर, सियासी दिग्गज अब राहत की सांस महसूस कर रहे हैं क्योंकि किसानों की अधिकांश मांगों को लेकर सहमति बन चुकी है। इसके बनने के बाद ही संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 11 दिसंबर अर्थात शनिवार के दिन इसे समाप्त करने का एलान कर दिया है। इतना ही नहीं हरियाणा में किसानों पर दर्ज केसों को समाप्त करने, मरने वाले किसानों के परिवारों की मदद के साथ-साथ में बाकी विषयों को लेकर भी राज्य सरकार के अफसरों ने होमवर्क पूरा कर लिया है। यही कारण है कि हत्या, रेप जैसे गंभीर चार केसों को छोड़कर 263 के करीब केसों को वापस ले लिया जाएगा, इनमें लगभग 16 लोग नामजद हैं। जबकि हजारों की संख्या में अज्ञात लोग शामिल हैं।
कुल मिलाकर हरियाणा में दर्ज मामलों को वापस लेने और किसानों पर कार्रवाई नहीं करने का फैसला उसी दिन हो गया था, जिस दिन किसान प्रतिनिधि राजधानी चंडीगढ़ में सीएम मनोहर लाल व उनके अफसरों से मिलने के लिए पहुंचे थे। मरने वाले किसानों के परिजनों को मुआवजे की राशि कम से कम पांच लाख पंजाब की तर्ज पर दी जानी है। इसको लेकर भी होमवर्क पूरा कर लिया गया है। राज्य की मनोहर सरकार इन्हें मुआवजा के साथ-साथ परिजनों को नौकरी देने पर भी विकल्प खुला रखे हुए है। अब यह स्थायी होंगे अथवा ठेके पर यह विषय अलग है। लेकिन नामजद किसानों की संख्या 45 हजार के पार होने की बात हवाई बताई हैं क्योंकि 263 केसों में 16 सौ लोगों के नाम ही शामिल हैं। हरियाणा के सीएम मनोहर लाल एक बदलते हुए घटनाक्रम में गुरुवार को गुरुग्राम और दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं। माना जा रहा है कि पूरे मामले में केंद्रीय नेताओं को जानकारी देंगे। साथ ही किसान आंदोलन से जुड़े हरियाणा खासतौर पर की गई सहमति का ब्योरा भी देकर हरिझंडी लेंगे।
सरकार केस वापस लेने की तैयारी में
किसान नेताओं और सरकार के बीच में सहमति बन गई है। जिसके बाद में गंभीर किस्म के चार पांच केसों को छोड़कर बाकी मुकदमों को राज्य की मनोहर लाल सरकार और अफसरों ने चिंतन मंथन के बाद वापसी लेने की सहमति दे दी है। हालांकि गृह मंत्री अनिल विज का भी कहना है कि राज्य की सरकार केंद्र से जैसा भी निर्देश मिलेगा, उस पर सौ फीसदी काम करेगी, जब पीएम ने किसानों की मांग को देखते हुए तीनों कानून वापस ले लिए और संसद में भी पारित कर दिया, अब आंदोलन को समाप्त कर देने का फैसला ही सम्मानजनक बात है। विज ने राज्य के सीएम मनोहरलाल के साथ में इस पर चर्चा की बात कही है।
चार मामले गंभीर किस्म के
किसान आंदलोन के दौरान चार मुकदमे गंभीर किस्म के हैं। जिसमें एक बंगाल की लड़की के साथ में दुष्कर्म का मामला है, वहीं दूसरी तरफ तीन हत्याओं के मामले हैं। इन केसों को वापस करने से राज्य सरकार के अफसरों ने साफ इनकार कर दिया है। इनको छो़ड़कर राज्य में लगभग 263 के करीब केस दर्ज हैं, इन सभी को वापस लेने पर सहमति बन गई है। यह बात गत दिवस सीएम चंडीगढ़ के आवास पर आए किसान प्रतिनिधियों के साथ में चर्चा के दौरान भी बन गई थी। इसके अलावा पांच लाख रुपये की राशि हर एक मरने वाले को देने पर भी लगभग बातचीत बन चुकी है।