SBI Report: सरकार के नए श्रम कानूनों से भारत में रोजगार और इससे जुड़े क्षेत्रों में स्थायित्व को बढ़ावा मिल सकता है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नए लेबर कोड से बेरोजगारी में 1.3 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। इससे 77 लाख लोगों के लिए अतिरिक्त रोजगार सृजन होगा।
स्थायी कर्मियों की हिस्सेदारी कम से कम 15 प्रतिशत बढ़ जाएगी
यह आकलन 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की वर्तमान श्रम बल भागीदारी दर 60.1 प्रतिशत व ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में औसत कार्यशील आयु वर्ग की जनसंख्या 70.7 प्रतिशत पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार, नए लेबर कोड्स के कार्यान्वयन से श्रम बल में स्थायी कर्मियों की हिस्सेदारी कम से कम 15 प्रतिशत बढ़ जाएगी। इससे कुल औपचारिक श्रमिकों की हिस्सेदारी वर्तमान अनुमानित हिस्सेदारी 60.4 प्रतिशत से बढ़कर 75.5 प्रतिशत हो जाएगी, जैसा कि पीएलएफएस डेटा में बताया गया है।
नए कानूनों के तहत सामाजिक सुरक्षा का कवरेज 85 प्रतिशत तक बढ़ सकता है
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नए कानूनों के तहत सामाजिक सुरक्षा का कवरेज 85 प्रतिशत तक बढ़ सकता है, इससे देश का श्रम पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होगा। इसमें आगे कहा गया है कि लगभग 30 प्रतिशत की बचत दर के साथ, सुधारों के कार्यान्वयन के बाद हर दिन प्रति व्यक्तिद खपत लगभग 66 रुपये तक बढ़ सकती है। इससे मध्यम अवधि में कुल खपत में 75,000 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी, इससे घरेलू खर्च और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। एसबीआई ने बताया कि भारत में लगभग 44 करोड़ लोग वर्तमान में असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। इनमें से लगभग 31 करोड़ श्रमिक ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हैं। अगर इनमें से 20 प्रतिशत श्रमिक अनौपचारिक वेतन-सूची से औपचारिक वेतन-सूची में जाते हैं, तो लगभग 10 करोड़ व्यक्तियों को नौकरी की बेहतर सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और औपचारिक रोजगार से जुड़ी सुविधाओं का प्रत्यक्ष लाभ मिल सकता है। इस बदलाव से अगले दो से तीन वर्षों में भारत का सामाजिक सुरक्षा कवरेज 80-85 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है।