आपने बचपन से पंचतत्त्वों के बारे में सुना होगा। यह भी सुना होगा कि इन्हीं पंचतत्त्वों से हमारा शरीर बना हुआ है। लेकिन क्या आपको इन पंचतत्त्वों का महत्त्व पता है। हिंदू धर्म में बताया गया है कि इन पंचतत्त्वों से ही ब्रह्मांड बना है। पंचतत्त्वों अलग-अलग रुपों में बहुत मायने रखते है लेकिन अगर इन्हें एक साथ कर दिया जाए तो इनकी सामूहिक ऊर्जा का प्रभाव सकारात्मक माना जाता है। क्या आपको पता है कि पंचतत्त्व क्या है और कौन-कौन से पंचत्तत्व होते हैं। चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको बता रहे है पंचतत्त्वों के बारे में...
कहा जाता है कि इंसान का शरीर भी पंचतत्त्वों से बना है, आकाश, पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि को पंच तत्त्व कहा जाता है।
क्या है पंच तत्वों ?
आकाश तत्व

आकाश तत्व मानव शरीर में संतुलन बनाने का काम करता है। व्यक्ति के मुंह में शब्दों का और दिमाग में विचारों का निर्माण आकाश तत्व से ही होता है। आकाश तत्व का सीधा संबंध व्यक्ति के मन से बताया गया है।
पृथ्वी तत्व

पृथ्वी तत्व का संबंध व्यक्ति के शरीर की त्वचा से बताया गया है। व्यक्ति का पूरा शरीर इसी तत्व से बनता है। इसका मतलब है कि इस तत्व की मदद से व्यक्ति के शरीर में मौजूद मांसपेशियां, कौशिकाएं और त्वचा इसी तत्व से बनता है। पृथ्वी तत्व यानि धरती माता, आपने अक्सर लोगों से सुना होगा मिट्टी से बने है और मिट्टी में ही मिल जाना है। इस बात का यही मतलब है कि हमारा पूरा शरीर पृथ्वी तत्व से बना है।
जल तत्व

हमारे पूरे शरीर में लगभग 71 प्रतिशत पानी मौजूद है, यानि जल तत्व। व्यक्ति की जिभ पर स्वाद जानने की क्षमता जल तत्व ही पैदा करता है। शरीर में मौजूद खून, रस या एंजाइम भी जल तत्व के अधीन ही आते है। जल तत्व शरीर को ऊर्जा देने का काम करता है।
वायु तत्व

वायु तत्व से शरीर को गति मिलती है। व्यक्ति में छूने की शक्ति वायु तत्व से ही आती है। इसके साथ ही व्यक्ति के प्राणों में भी वायु तत्व होता है। इसलिए प्राणों को प्राण वायु भी कहा जाता है।
अग्नि तत्व

व्यक्ति के शरीर में ऊर्जा का दूसरा स्रोत अग्नि तत्व होता है। व्यक्ति को देखने की शक्ति अग्नि तत्व से ही मिलती है। मनुष्य के विवेक को आग्नि तत्व ही दर्शाता है। जिस व्यक्ति को अधिक क्रोध आता है उनमें अग्नि तत्व अधिक होता है।