केंद्र सरकार (Central Govt) की नीतियों के खिलाफ 28 और 29 मार्च को मजदूर संगठन (labor union) सीटू के बैनर तले होने जा रही दो दिवसीय हड़ताल (Two Day strike) के चलते प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील कर्मी (Mid Day Meal Worker) भोजन नहीं बनाएंगे। ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी इस हड़ताल में भोजन बनाने वाले सभी कर्मी भी शामिल होंगे। हड़ताल के चलते प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने दो दिनों तक स्कूलों में भोजन बनाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए प्रिंसिपलों को निर्देश जारी कर दिए हैं।
प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय सीटू से संबंधित वर्कर यूनियन का हड़ताल को लेकर नोटिस मिलने के बाद वैकल्पिक व्यवस्था करने में जुट गया है। शिक्षा निदेशक डॉ. पंकज ललित की ओर से सभी जिला उपनिदेशकों को एक पत्र जारी कर कर्मियों की हड़ताल के चलते मिड डे मील की व्यवस्था को बनाए रखने के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि हड़ताल के दौरान भोजन बनाने के लिए स्कूल स्तर पर व्यवस्था की जाएगी। सभी बच्चों को भोजन जरूर उपलब्ध करवाया जाएगा।
उधर, सीटू के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा (CITU State President Vijender Mehra) ने कहा कि मिड डे मील वर्करों का शोषण किया जा रहा है। केंद्र और प्रदेश सरकार इनके हित में कोई भी फैसला नहीं ले रही है। इनका मानदेय बहुत कम आंका जा रहा है। इस मानदेय की अदायगी भी नहीं हो रही। इन सभी वर्करों का न्यूनतम वेतन करीब नौ हजार रुपये प्रति माह होना चाहिए। 12 माह का इन्हें मानदेय मिलना ही चाहिए। इन मांगों को लेकर वर्करों ने ट्रेड यूनियनों की 28 और 29 मार्च को होने वाली हड़ताल में शामिल होने का निर्णय लिया है।
पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को दिया जाता है भोजन
बता दें कि विद्यार्थियों को उचित पोषण देकर उनके बचपन को और भी सुरक्षित करने के लिए सरकार की तरफ से बच्चों के लिए मिड-डे मील योजना चलाई जा रही है। हालांकि, अब इसके नाम में बदलाव कर दिया गया है। वहीं, कोरोना संकट (Corona) के बीच हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक के साढ़े पांच लाख विद्यार्थियों को राशन मुहैया कराया गया था।