केंद्र सरकार (Central Govt) ने बीते जनवरी महीने में ही एयर इंडिया एयरलाइंस (Air India Airlines) की कमान टाटा समूह (Tata Group) को सौंप दी थी। अब सरकार एलायंस एयर की बिक्री प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में जुटी हुई है। जानकारी के अनुसार, अगले वित्त वर्ष में अलायंस एयर के लिए रुचि पत्र निकाला जाएगा।
अगर हम एलायंस एयर की बात करें तो ये एयर इंडिया की एक सब्सिडरी कंपनी है। एक अधिकारी के मुताबिक एयर इंडिया की सब्सिडरीज की बिक्री के लिए हमारे पास पहले से ही मंत्रिमंडल की मंजूरी है। हम ग्राउंड हैंडलिंग इकाई की बिक्री के लिए अगले वित्त वर्ष में ईओआई (EOI) निकालेंगे।
फिलहाल एयर इंडिया की चार सब्सिडरी-एयर इंडिया एयर ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लि. (AIATSL), एयरलाइन अलायड सर्विसेज लि. (AASL) या अलायंस एयर, एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज लि. (AIESL) और होटल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि. (HCI) विशेष इकाई एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लि. (AIAHL) के पास है। बता दें कि एआईएएचएल का गठन साल 2019 में कर्ज के बोझ से दबी एयर इंडिया की गैर-प्रमुख संपत्तियों को रखने के लिए किया गया था।
क्या होगा निजीकरण के लिए रास्ता
इस पर एक अधिकारी ने बताया कि अभी यह तय किया जाना है कि इन सब्सिडरीज के निजीकरण के लिए एयर इंडिया विशेष वैकल्पिक व्यवस्था (AISAM)का इस्तेमाल किया जाना चाहिए या केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश की वैकल्पिक व्यवस्था को उपयोग में लाया जाए।
अगर हम एआईएसएएम की बात करें तो इसके प्रमुख गृह मंत्री (Home Minister) हैं। जिसमें वित्त मंत्री, वाणिज्य मंत्री और नागर विमानन मंत्री शामिल हैं। वहीं, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश की वैकल्पिक व्यवस्था में शामिल मंत्री सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, वित्त मंत्री और वाणिज्य और उद्योग मंत्री हैं।
वहीं आपको बता दें कि टाटा समूह की एयर इंडिया और एयरएशिया इंडिया एयरलाइन के बीच की दूरियां कम हो गई हैं। अब इमरजेंसी में ये दोनों एयरलाइन कंपनियां एक-दूसरे के यात्रियों को ले जा सकेंगी। इसका सीधा फायदा यात्रियों को ही होगा। इस पर एयरएशिया इंडिया ने कहा कि परिचालन में व्यवधान की स्थिति में यात्री स्थानांतरण के लिए एयर इंडिया के साथ उसका समझौता सामान्य है, उसने अन्य विमानन कंपनियों के साथ भी इसी तरह की व्यवस्था कर रखी हैं।