कर्नाटक (Karnataka) के एक कॉलेज से हिजाब (Hijab) को लेकर शुरू हुआ विवाद अब जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) तक फैल गया है। कश्मीर के एक स्कूल ने हिजाब को लेकर दिए गए अपने एक आदेश में बदलाव किया गया है। स्कूल मैनेजमेंट में कर्मचारियों से ऐसा नकाब पहनने से बिल्कुल मना कर दिया है जिससे पूरा चेहरा ढंका रहे।
क्या है पूरा मामला?
बारामूला (Baramulla) के डैगर परिवार स्कूल (Dagger Family School) के प्रिंसिपल द्वारा 25 अप्रैल को एक आदेश जारी किया गया। जिसमें शिक्षिकाओं से स्कूल अवधि के दौरान हिजाब पहनने से बचने को कहा गया 'ताकि छात्र खुद को सहज महसूस कर सकें और शिक्षकों एवं कर्मचारियों से खुलकर बातचीत के लिए आगे आ सकें।' हालांकि, बुधवार को स्कूल ने इस आदेश को संशोधित 'हिजाब' शब्द के जगह पर 'नकाब' शब्द का इस्तेमाल किया।
महबूबा मुफ्ती ने की आदेश की निंदा
चिट्ठी के सामने आने के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) प्रमुख महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने इस आदेश की कड़ी निंदा की थी। उन्होंने ट्वीट किया कि 'मैं हिजाब पर फरमान जारी करने वाले इस पत्र की कड़ी निंदा करती हूं। जम्मू-कश्मीर में बीजेपी (BJP) का शासन जरूर हो सकता है लेकिन यह निश्चित तौर पर अन्य राज्यों की तरह बिल्कुल नहीं है, जहां उन्होंने अल्पसंख्यकों के घरों को गिरा दिया और उन्हें अपनी मर्जी की पोशाक पहनने तक की अनुमति नहीं दी।'
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ पत्र
स्कूल मैनेजमेंट का यह पत्र सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इस संबंध में स्कूल प्रबंधन और प्रधानाचार्य की तरफ से कोई भी बयान फिलहाल सामने नहीं आया है।
बता दें कि हिजाब को लेकर पहली घटना उडुपी के भंडारकर कॉलेज में हुई। छात्रों के अनुसार, जब वे 4 फरवरी को सुबह कॉलेज पहुंचे तो हिजाब पहनकर आईं छात्राओं को कॉलेज के अधिकारियों ने पुलिस की मौजूदगी में गेट पर ही रोक दिया था। इस विवाद को लेकर महिलाओं और कार्यकर्ताओं ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यह कार्रवाई उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। वहीं सरकार और अधिकारियों ने यह तर्क दिया था कि यह नियम शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक प्रतीकों के प्रदर्शन को रोकने के लिए लगाया गया है। कई हिंदू छात्र कक्षा में हिजाब पहनने वाली मुस्लिम लड़कियों का विरोध करने के लिए संस्थानों में छात्रों ने भगवा स्कार्फ पहनना भी शुरू कर दिया था।