Rath Yatra 2025:जगत के नाथ यानी भगवान जगन्नाथ का धाम ओडिशा के पुरी में माना गया है। हर साल जगन्नाथ जी के भक्तों को आषाढ़ माह में होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा का इंतजार रहता है। इस दौरान तीन रथों पर भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र विराजमान होते हैं। वह नगर भ्रमण कर भक्तों का हालचाल जानने मंदिर से बाहर निकलते हैं। इस दौरान सात दिनों के लिए गुंडिचा मंदिर ही जगन्नाथ जी का निवास होता है। इस रथ यात्रा की प्रसिद्धि विश्वभर में है. जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 में कब शुरू होगी।
समापन दशमी तिथि को होता है
जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से होती है और इसका समापन दशमी तिथि को होता है। यात्रा से पहले कई परंपराएं निभाई जाती है। इसकी शुरुआत सहस्त्रस्नान से होती है। इस रथ यात्रा में लाखों लोग देश और दुनिया से शामिल होने पुरी आते हैं। यात्रा से पहले ज्येष्ठ पूर्णिमा पर जगन्नाथ जी, बलभद्र जी और सुभद्रा जी तीनों का 108 घड़ों के जल से स्नान कराया जाता है, इस स्नान को सहस्त्रधारा स्नान के नाम से जाना जाता है. 108 घड़ों के ठंडे जल स्नान के कारण तीनों देवी-देवता बीमार हो जाते हैं। ऐसे में अब वे तीनों 14 दिनों तक एकांतवास में रहते हैं और एकांतवास के बाद वे अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा पर 11 जून को सहस्त्र स्नान होगा।
भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं
ऐसा माना जाता है जगन्नाथ जी के दर्शन करने के बाद उनके भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन के अंत में भी मोक्ष को प्राप्त करते है। पद्म पुराण की कहानी के अनुसार एक बार आषाढ़ के महीने में सुभद्रा ने भगवान जगन्नाथ से शहर देखने की इच्छा जताई। तब जगन्नाथ भगवान ने अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाया और नगर भ्रमण करते हुए अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर में निवास किया।