Karwa Chauth: महिलाएं करवाचौथ का व्रत अपने सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी उम्र के लिए हर वर्ष रखती हैं। सुहागिनें इस दिन निर्जल व्रत रखती हैं। इसलिए यह व्रत निर्जला व्रत भी कहा जाता है। इस वर्ष यह पावन पर्व 10 अक्तूबर को मनाया जाएगा। इसी दिन महिलाएं उपवास रखेंगी। बता दें, करवाचौथ का इंतजार हर भारतीय सुहागिन महिला सालभर करती है। ये दिन न सिर्फ निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना करने का है, बल्कि ये अवसर होता है सुहागिन महिलाओं के श्रृंगार और सजने-संवरने का। ऐसे में महिलाएं अपने हाथों पर मेहंदी अवश्य लगाती हैं।
ये है पूजा का मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस वर्ष करवाचौथ व्रत की चतुर्थी तिथि 9 अक्तूबर को रात 10:54 बजे से शुरू होगी और 10 अक्तूबर को शाम 7:38 बजे तक रहेगी। शिमला में चांद शाम 8:07 बजे निकलेगा। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर सुहागिनें व्रत का पारण कर सकती हैं। इस दौरान करवाचौथ पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:57 से रात 7:11 बजे तक रहेगा, जोकि लगभग 1 घंटा 14 मिनट तक रहेगा। सुहागिन महिलाओं के लिए यह एक महत्वपूर्ण पर्व है। सुहागिनें कई दिनों पहले ही श्रृंगार का सामान और पूजा सामग्री की खरीदारी शुरू कर देती हैं।
करवाचौथ व्रत में विधि-विधान से पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है
करवाचौथ व्रत में विधि-विधान से पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। इस दिन सूर्योदय से पहले सरगी खानी चाहिए और इसके बाद दिनभर निर्जला उपवास रखा जाता है। इसके बाद शाम को करवा, पानी का पात्र, रोली, हल्दी, मेवे, मिठाई और फूल जैसी पूजा सामग्री इकट्ठा कर लें। शाम को शुभ मुहूर्त के अनुसार देवी-देवताओं और करवा की पूजा करनी चाहिए। करवाचौथ की कथा सुनना शुभ होता है। उन्होंने कहा कि शिमला में चंद्रोदय रात 8:07 बजे के आसपास होगा। महिलाएं इस अवसर पर करवा रस्म (छलनी से चांद का दीदार करना और फिर उसी छलनी से अपने पति का चेहरा देखना) करती हैं और पति के हाथों पानी पीकर व्रत खोलती हैं।