जनता टीवी के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, केंद्र-राज्य 'तकरार' अफसर पर 'रार'! जिसका संदर्भ है... आईएएस कैडर नियमों में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर गरमाई राजनीति, केंद्र और राज्यों के बीच अखिल भारतीय सेवाओं (एआइएस) से जुड़े नियमों में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर तलवारें खिंच चुकी है।
केंद्र सरकार अखिल भारतीय सेवाओं के तहत आइएएस, आइपीएस और आइएफएस के अधिकारियों के पदस्थापन और प्रतिनियुक्ति संबंधी नियमों में बदलाव करना चाहती है, जबकि कई राज्य विरोध में हैं। राज्यों का कहना है कि इससे एआइएस अधिकारियों पर राज्यों का नियंत्रण खत्म हो जाएगा। केंद्र जब चाहेगा अधिकारी को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना पड़ेगा। गैर भाजपा शासित राज्यों का कहना है कि केंद्र उन्हें परेशान करने के लिए इसका दुरुपयोग कर सकती है। विरोध में आए तीन राज्य, प्रस्तावित संशोधनों को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी काफी मुखर हैं, वे दो बार प्रधानमंत्री को पत्र लिख चुकी हैं।
राजस्थान और छत्तीसगढ़ के साथ ही एनडीए शासित कई राज्य भी विरोध जता चुके हैं, एनडीए शासित बिहार ने भी मौजूदा व्यवस्था को उपयुक्त बताया है। केरल और तमिलनाडु भी विरोध कर चुके हैं। चलिए जानते हैं कि क्या है आईएएस की नियुक्ति को लेकर प्रस्तावित संशोधन? किन बातों को लेकर कई राज्य सरकारें कर रही हैं इसका विरोध...
कार्मिक मंत्रालय द्वारा सभी राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों को बीते साल दिसंबर को प्रस्ताव भेजा था। उन्हें 25 जनवरी 2022 तक इस प्रस्ताव पर जवाब मांगा है। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए उपलब्ध अधिकारियों की संख्या केंद्र में आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसा मंत्रालय ने प्रस्ताव में कहा है। पिछले 12 जनवरी को सभी राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों को भेजे गए डीओपीटी के प्रस्ताव के अनुसार, विशेष परिस्थितियों में जहां केंद्र सरकार द्वारा जनहित में कैडर अधिकारियों की सेवाओं की आवश्यकता होती है, केंद्र सरकार ऐसे अधिकारी की सेवाएं ले सकती है। यानी की राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बिना सीधा केंद्र उस आईपीएस या आईएएस अधिकारी को दिल्ली तलब किया जाएगा।