Health News : बदलते समय के साथ-साथ लोगों का खाना-पीना भी बदलता जा रहा है। इस दौर में लोगों के खाना में स्वादिष्ट चीजें सिर्फ जरूरत नहीं, बल्कि एक आदत बन गया है। आसान और स्वादिष्ट चीजें हमारे रूटीन का हिस्सा बन चुकी हैं। ऑफिस की भागदौड़ हो या घर का काम, ज्यादातर लोग जल्दी तैयार होने वाले खाने पर निर्भर हो गए हैं। पहले जहां लोग घर का बना खाना पसंद करते थे, वहीं अब पैक्ड स्नैक्स और रेडी-टू-ईट फूड्स पसंद किए जा रहे हैं। ये खाने में भी स्वादिष्ट होते हैं, लेकिन ये आपकी सेहत को धीरे-धीरे गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं।
ये चीजें बार-बार खाने का मन करे
ये वही चीजें हैं जो हमें आसानी से सभी क्षेत्रों में हर दुकानों पर मिल जाती हैं, जैसे चिप्स, बिस्किट, पिज्जा, इंस्टेंट नूडल्स, पैक्ड स्नैक्स या मीठे ड्रिंक। इनमें रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, ज्यादा ऑयल और आर्टिफिशियल फ्लेवर मिलाए जाते हैं ताकि इनका स्वाद ऐसा लगे कि बार-बार खाने का मन करे। हालांकि, इनमें पोषण बिल्कुल भी नहीं होता है।
बुजुर्गों में देखने को मिल रहा है इसका असर
बदलते दौरे में इसका असर सबसे ज्यादा बच्चों और बुजुर्गों में देखने को मिल रहा है। इसकी लत ऐसी होती है, जो शराब और तंबाकू से भी ज्यादा खतरनाक है। ऐसा हम नहीं, बल्कि Addiction नाम की जर्नल में छपी एक स्टडी ने इस बात का खुलासा किया है। स्टडी में बताया गया है कि अब अमेरिका में 50 साल से ज्यादा उम्र के लोग शराब या तंबाकू की तुलना में ज्यादा अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स (UPFs) के आदी हो रहे हैं।
क्या कहते हैं शोधकर्ता?
इस बारे में शोधकर्ताओं का कहना है कि ये लत दिखने में भूख जैसी लगती है, लेकिन दिमाग पर असर वैसा ही होता है जैसा शराब या निकोटिन से होता है। जब कोई व्यक्ति ऐसे फूड्स बार-बार खाता है, तो दिमाग उन्हें रिवार्ड की तरह महसूस करता है। इससे शरीर और मन, दोनों को नुकसान पहुंचता है। बता दें कि अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन और यूनिवर्सिटी ऑफ यूटा ने 50 से 80 साल के 2,000 से ज्यादा लोगों पर सर्वे किया। नतीजा ये निकला कि करीब 12% लोग ऐसे हैं जो अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स के आदी हैं, जबकि शराब की लत सिर्फ 1.5% और तंबाकू की 4% लोगों में पाई गई। स्टडी में पाया गया कि 50 से 64 साल की उम्र की हर चौथी महिला को UPF की लत के लक्षण हैं। 65 से 80 साल की महिलाओं में ये संख्या 12% है। कुल मिलाकर, महिलाओं में ये लत 17% तक है, जो पुरुषों (7.5%) से दोगुनी से भी ज्यादा है।