उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-30 का सीएम योगी आदित्यनाथ ने आज विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर विमोचन किया। योगी सरकार जहां बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए समुदाय आधारित अभियान चलाएगी, वहीं जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने की भी योजना है। लोग जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाने के अभियान में गंभीरता से प्रयासरत हों, इसके लिए कड़े कदमों का भी प्रावधान किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीएम योगी ने आज 11 जनपदों में RT-PCR प्रयोगशालाओं का उद्घाटन किया। साथ ही प्रदेश के स्वास्थ्य केंद्र ऐप का भी उद्घाटन किया। सीएम योगी ने कहा कि समाज के विभिन्न तबकों को ध्यान में रखकर प्रदेश सरकार इस जनसंख्या नीति को लागू करने का काम कर रही है। जनसंख्या नीति का संबंध केवल जनसंख्या स्थिरीकरण के साथ ही नहीं है बल्कि हर एक नागरिक के जीवन में खुशहाली और समृद्धि का रास्ता उसके द्वार तक पहुंचाना भी है।
कार्यक्रम में मौजूद स्वास्थ्य मंत्री जेपी सिंह ने कहा कि जनसंख्या पर नियंत्रण जरूरी है। अनुमान है कि 2027 तक जनसंख्या के मामले में भारत चीन से आगे निकल जाएगा। यदि हम नई जनसंख्या नीति लागू करते हैं, तो अनुमान के अनुसार हमारे राज्य की जनसंख्या 2052 तक स्थिर हो जाएगी।
जनसंख्या नीति विमोचन कार्यक्रम से पूर्व सीएम योगी आदित्यनाथ ने विश्व जनसंख्या दिवस पर ट्वीट कर लिखा, 'बढ़ती हुई जनसंख्या समाज में व्याप्त असमानता समेत प्रमुख समस्याओं का मूल है। समुन्नत समाज की स्थापना के लिए जनसंख्या नियंत्रण प्राथमिक शर्त है। आइये, इस 'विश्व जनसंख्या दिवस' पर बढ़ती जनसंख्या से बढ़ती समस्याओं के प्रति स्वयं व समाज को जागरूक करने का प्रण लें।'
बता दें कि राज्य विधि आयोग ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण एवं कल्याण) विधेयक-2021 का प्रारूप तैयार किया है। जनसंख्या वृद्धि रोकने के लिए इस विधेयक में कड़े कदमों का भी प्रावधान किया गया है। इसके तहत दो से अधिक बच्चे वाले अभिभावक सरकारी नौकरी, सब्सिडी और स्थानीय निकाय चुनावों लड़ने के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे। यही नहीं ऐसे अभिभावकों की सरकारी नौकरी में पदोन्नती पर भी रोक लगाई जाएगी।
आयोग ने बहुविवाह का भी ध्यान रखा है। इसके तहत एक से अधिक विवाह होने पर सभी पत्नियों से दो से अधिक बच्चे होने पर पति सरकारी सुविधाओं से वंचित हो जाएगा। हालांकि प्रत्येक पत्नी दो बच्चे होने पर सुविधाओं का लाभ ले पाएंगी। इसी प्रकार अगर कोई महिला एक से अधिक विवाह करती है और अलग-अलग पति से उसके दो से अधिक बच्चे है तो वह सरकारी सुविधाओं से वंचित हो जाएगी, जबकि प्रत्येक पति अपने दो बच्चे होने पर सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए योग्य होगा।