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गणेश चतुर्थी पर राशि अनुसार अपने घर लाएं ऐसे कलर के गणपति, जानें उनका भोग और पूजाविधि

गणेश चतुर्थी पर राशि अनुसार अपने घर लाएं ऐसे कलर के गणपति, जानें उनका भोग और पूजाविधि

 

Ganesh Chaturthi 2021: भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन गणेश प्रतिमा की स्थापना के साथ ही गणेशोत्सव की धूम मच जाती है। तथा सभी घरों में विधिवत रुप से गणपति भगवान की पूजा की जाती है। वहीं राशि के अनुसार अगर गणपति जी का आपके घर में आगमन होता है तो शास्त्रों में इसे बहुत श्रेष्ठ माना जाता है और ऐसा करने से आपके सौभाग्य में चार चांद लगने की संभावना बन जाती है। तथा साथ ही गणेश जी का विशेष आशीर्वाद आपको प्राप्त हो जाता है। तो आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी के दिन राशि के अनुसार किस कलर के गणपति जी अपने घर लेकर आएं और कैसे उनका भोग लगाए तथा साथ ही जानें विशेष आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा विधि के बारे में...

राशि के अनुसार इस कलर की प्रतिमा करें स्थापित

मेष और वृश्चिक राशि वाले भक्त लाल रंग के गणपति स्थापित करें।

वृष और तुला राशि वाले सिल्वर व्हाइट और आभूषणों से युक्त गणपति स्थापित करें।

मिथुन और कन्या राशि वाले हरे रंग से युक्त गणपति स्थापित करें।

कर्क राशि के लोग श्वेत रंग की आभा वाले गणपति स्थापित करें।

सिंह राशि के व्यक्ति गेरुए रंग के गणपति स्थापित करें।

धनु और मीन राशि के लोग पीले रंग की आभा वाले गणपति स्थापित करें। म

कर और कुम्भ राशि के व्यक्ति नीले व आसमानी रंग की आभा वाले गणपति स्थापित करें।

पूजन सामग्री

कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि पूजा के लिए चौकी, लाल कपड़ा, भगवान गणेश की प्रतिमा, जल का कलश, पंचामृत, रोली, अक्षत, कलावा, लाल कपड़ा, जनेऊ, गंगाजल, सुपारी, इलाइची, बतासा, नारियल, चांदी का वर्क, लौंग, पान, पंचमेवा, घी, कपूर, धूप, दीपक, पुष्प, भोग का समान आदि एकत्र कर लें।

भगवान गणेश को लगाएं भोग

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि गणेश जी को पूजन करते समय दूब, घास, गन्ना और बूंदी के लड्डू अर्पित करने चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। कहते हैं कि गणपति जी को तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। मान्यता है कि तुलसी ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था, इससे नाराज होकर गणपति ने उन्हें श्राप दे दिया था।

पूजा विधि

गणेश चतुर्थी के दिन प्रातरू काल स्नान-ध्यान करके गणपति के व्रत का संकल्प लें। इसके बाद दोपहर के समय गणपति की मूर्ति या फिर उनका चित्र लाल कपड़े के ऊपर रखें। फिर गंगाजल छिड़कने के बाद भगवान गणेश का आह्वान करें। भगवान गणेश को पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और दूर्वा (घास) चढ़ाए। इसके बाद गणपति को मोदक लड्डू चढ़ाएं, मंत्रोच्चार से उनका पूजन करें। गणेश जी की कथा पढ़ें या सुनें, गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें।

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