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Mahavir Jayanti 2020 : जानें क्यों मनाई जाती है महावीर जयंती, पढ़ें उनसे जुड़ी कुछ जरूरी बातें

Mahavir Jayanti 2020 : जानें क्यों मनाई जाती है महावीर जयंती, पढ़ें उनसे जुड़ी कुछ जरूरी बातें

 

भगवान महावीर स्वामी का जन्म चैत्र मास की त्रयोदशी के दिन हुआ था। ऐसे में इस बार महावीर जयंती 2020 तिथि (Mahavir Jayanti 2020 Date) 06 अप्रैल 2020, सोमवार को पड़ रही है। जैन धर्म में इन्हें 24 वां तीर्थकर माना जाता है। महावीर स्वामी के जन्म के बाद से ही उनके राज्य ने अधिक तरक्की करनी शुरु कर दी जिसके कारण उनका नाम वर्धमान रखा गया था।

माना जाता है जैन धर्म के 23वें तीर्थकर पार्श्र्वनाथ जी के मोश्र प्राप्ति के 188 साल बाद महावीर जी का जन्म हुआ था। जिसके बाद हर साल जैन धर्म के लोग बड़ी धूम से महावीर जयंती मानते हैं। इस पर्व को मनाने के लिए जैन मंदिरों को काफी अच्छे से सजाया जाता है। इतना ही नहीं मंदिरों में शोभायात्रा भी निकाली जाती है लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते शोभायात्रा नहीं निकली जाएगी।

जानिए कौन थे स्वामी महावीर और उनसे जुड़ी कुछ बातें

 

जैन ग्रंथो के अनुसार, भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व बिहार के कुण्डग्राम नामक स्थान पर हुआ था। यह स्थान वैशाली जिले में है। भगवान महावीर जी के पिता का नाम राजा सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था। माना जाता है महावीर जी के जन्म से पहले उनकी माता को उनसे सम्बंधित 16 विशेष स्वप्न दिखे थे। बचपन से परिवार की ओर से संपन्न होते हुए भी युवावस्था में आते उन्होंने संसार के मोह-माया को छोड़ दिया। इसके बाद वो सन्यासी बन गए।

महावीर स्वामी का मानना था कि यदि आपकी जरूरत किसी इंसान को है और आप उनकी मदद कर सकते हैं तो आपको हर संभव तरह से वो करना चाहिए। बचपन में महावीर जी का नाम वर्धमान था। बताया जाता है कि उन्होंने बहुत छोटी उम्र में अपने सुखी जीवन को त्याग दिया था और साधना की तरफ कदम रख चुके थे। इसके लिए उन्होंने साढ़े बारह वर्षों की साधना की थी। इसी वजह से उनका नाम महावीर रख दिया गया था।

महावीर स्वामी ने साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका इन चार तीर्थों की स्थापना की थी। इसी वजह से महावीर स्वामी तीर्थंकर कहलाए। बता दें यहां तीर्थंकर का अर्थ लौकिक तीर्थों से नहीं बल्कि अहिंसा और सत्य की साधना द्वारा अपनी आत्मा को तीर्थ बनाने से है। इन उच्च विचारों के लिए आज भी महावीर स्वामी याद किए जाते हैं। महावीर जी ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद पूरी दुनिया को सत्य और अंहिसा का मार्ग दिखाया। उन्होंने मानव जीवन में अहिंसा को सर्वोच्च स्थान दिया था। उनके द्वारा दिये गए पांच सिद्धांतों का जैन धर्म के अनुयायी आज भी अनुसरण करते हैं। 

ऐसा था भगवान महावीर का स्वाभाव 

जैन पुराणों के अनुसार, महावीर स्वामी में सत्य, अहिंसा, त्याग व समभाव के गुण सम्मिलित थे। भगवान महावीर ने त्याग और तपस्या की शक्ति से आत्मज्ञान को प्राप्त किया था। आज से करीब ढाई हजार साल पूर्व भारत एवं दुनिया के सामने जो चुनौतियां मौजूद थी वह आज भी हमारे सामने हैं। बस उनका स्वरूप बदल गया है। दुनिया में आज भी अत्याचार, दमन, शोषण, आतंक, युद्ध, हिंसा और असत्य जैसी बुराइयां आज भी मौजुद हैं। इन्हीं बुराइयों पर विजय पाने का मार्ग भगवान महावीर जी ने अपने उपदेशों में बताया है।

महावीर जयंती का महत्व 

महावीर जयंती तप से जीवन पर विजय प्राप्त करने का पर्व है। महावीर जयंती पर श्रद्धालु जैन मंदिरों में भगवान महावीर की मूर्ति को विशेष स्नान कराते हैं जिसे अभिषेक कहा जाता है। महावीर को स्नान करने के बाद उनकी मूर्ति को सिंहासन या रथ पर बैठाकर हर्सोल्लास के साथ जुलूस निकाला जाता है। इस महाजुलूस में बड़ी संख्यां में जैन धर्मावलम्बी शामिल होते हैं।

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