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त्रिनेत्र गणेश मंदिर में गणपति जी चिट्ठी लिखकर चढ़ाने से कर देते हैं मनोकामना पूरी, जानें

त्रिनेत्र गणेश मंदिर में गणपति जी चिट्ठी लिखकर चढ़ाने से कर देते हैं मनोकामना पूरी, जानें

 

गणेश जी का यह मंदिर कई मायनों में अनूठा है। इस मंदिर को भारत ही नहीं दुनिया का पहला गणेश मंदिर माना जाता है। यहां गणेश की पहली त्रिनेत्रधारी प्रतिमा स्थापित है। यह मूर्ति स्वयंभू है। देश में ऐसी चार गणेश प्रतिमाएं हैं। हम बात कर रहे हैं रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर की। यह मंदिर भारत के राजस्थान प्रांत में सवाई माधोपुर जिले में स्थित है। इसे रणताभवन मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर अरावली और विंध्याचल की पहाड़ियों में 1579 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर विश्व धरोहर में शामिल रणथम्भौर दुर्ग के भीतर बना हुआ है। अरावली और विन्ध्याचल पहाड़ियों के बीच स्थित रणथम्भौर दुर्ग में त्रिनेत्र गणेश मंदिर प्रकृति व आस्था का अनूठा संगम है। मान्यता है कि यहां विराजमान गणेश जी लड्डू, दुर्वा, फल, फूल या पूजा पाठ से नहीं, बल्कि चिट्ठी लिखकर चढ़ाने से भक्तों की मनोकामना पूरी कर देते हैं। 

कहा जाता है कि इस मंदिर में विराजमान गणेश जी यहां केवल अपने भक्तों की लिखित अर्जी यानि चिट्ठी में लिखी अर्जी ही स्वीकार करते हैं। गणेश जी के बारे में ऐसी मान्यता है कि वे केवल चिट्ठी में लिखी अर्जी से ही प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि यहां अर्जी लगाने वाला भक्त कभी भी उनके दर से निराश नहीं होता। गणपति जी उस भक्त की मनोकामना जरुर पूरी कर देते हैं। यहां रोजाना हजारों आमंत्रण पत्र और पत्र डाक से पहुंचते हैं। कहा जाता है कि यहां सच्चे दिल की मुराद पूरी होती है।

त्रिनेत्र गणेश मंदिर का निर्माण महाराजा हम्मीरदेव चौहान ने करवाया था लेकिन मंदिर के अंदर भगवान गणेश की प्रतिमा स्वयंभू है। इस मंदिर में भगवान गणेश त्रिनेत्र रूप में विराजमान हैं जिसमें तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना जाता है

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