हर साल 2 सितंबर को विश्व नारियल दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दुनिया में खाए जाने वाले सबसे लोकप्रिय फलों में से एक है। क्या आप जानते हैं कि पहली बार नारियल दिवस कब मनाया गया था और इसके मनाने के पीछे क्या कारण है, अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
दरअसल, इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि नारियल खेती और उसकी उत्पादकता को बढ़ावा देना। इस साल का थीम है 'COVID-19 महामारी के दौरान एक सुरक्षित समावेशी लचीले और टिकाऊ नारियल समुदाय का निर्माण''।
साल 2009 में पहली बार मनाया गया था विश्व नारियल दिवस
विश्व नारियल दिवस पहली बार 2009 में मनाया गया था। सबसे पहले इस दिवस को एशिया पैसिफिक कोकोनट कम्युनिटी ने मनाया था। तब से इसे सेलिब्रेट किया जा रहा है।
भारत में भी मनाया जाता है नारियल दिवस
भारत में भी इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है। नारियल विकास बोर्ड केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, ओडिशा आदि जैसे विभिन्न राज्यों में इसे बढ़ावा देता है।
कहा जाता है कि एक नारियल के पेड़ से हर साल लगभग 100 नारियल पैदा होते हैं और फल को पकने में एक साल का समय लगता है। 'नारियल' शब्द 'अखरोट' और पुर्तगाली शब्द 'कोको' से मिलकर बनाया है। विश्व के नारियल उत्पादन का 90% एशिया से आता है। भारत इंडोनेशिया, फिलीपींस, ब्राजील और श्रीलंका के साथ दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है