पंजाबी कोई जाति नहीं है, बल्कि एक संस्कृति का नाम है- ऐसा कहना है हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का। पंजाबी तो कंबोज, राजपूत, जट-सिख भी हो सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाबी-पंजाबी कहते रहेंगे तो हरियाणा से नहीं जुड़ पाएंगे। संस्कृति के हिसाब से हम पंजाबी हो सकते हैं, लेकिन भौगोलिक रूप से हम हरियाणवी हैं। इसलिए सबको एक होकर रहना चाहिए। सबको साथ लेकर चलना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां जाति की जरूरत है, वहां जाति को भी रखना चाहिए। जातियों का पहले अधिक महत्व था, अब नहीं। आज सब मिल-जुलकर रहना चाहते हैं। जाति शब्द का सबसे कम प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं नहीं, हम की भावना से काम करें। हम सब इकट्ठे होकर काम करें। जहां रहते हैं, वहां सबको साथ लेकर चलें। हृदय को बड़ा करना होगा। अपने शहीदों व महापुरुषों को याद रखना है, क्योंकि अपने इतिहास को कभी नहीं भूलना चाहिए।
रविवार को मनोहर लाल खट्टर ने गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी के रणबीर सिंह ऑडिटोरियम में पंचनद स्मारक ट्रस्ट के युवा सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी धर्मदेव ने की, जबकि थानेसर के विधायक सुभाष सुधा और हिसार के विधायक डॉ. कमल गुप्ता विशिष्ट अतिथि रहे।
साथ ही मुख्यमंत्री ने पंचनद स्मारक ट्रस्ट को अपने एक महीने का वेतन दान दिया। उन्होंने कहा कि यह भी एक ट्रस्ट है और जिस सरकार के वे मुख्यमंत्री हैं, वह भी एक ट्रस्ट ही है। एक ट्रस्ट से दूसरे ट्रस्ट में पैसा नहीं दिया जा सकता है। इसलिए वह सरकार की तरफ से कोई राशि देने की जगह अपनी तरफ से एक महीने का वेतन देते हैं। बत दें इससे पहले वह अपनी एक एकड़ जमीन भी ट्रस्ट को दान कर चुके हैं।
बता दें समारोह में उनके साथ फोटो खिंचवाने वालों से मुख्यमंत्री खासे परेशान दिखाई दिए। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने फोटो खिंचवाने वालों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के साथ फोटो खिंचवाकर उसे सोशल मीडिया पर डालकर मशहूर होने की जगह खुद को काबिल बनाएं। ऐसे बार-बार फोटो करवाना उचित नहीं लगता है।